Health of citizens in danger, water tank not cleaned in 6 months
प्रतीकात्मक तस्वीर

  • जलप्रदाय समिति की समीक्षा बैठक में हुआ खुलासा
  • 42 टंकियों के निर्माण का था लक्ष्य
  • 12 टंकियों का शुरू है काम

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नागपुर. शहर की जलापूर्ति को चुस्त-दुरुस्त करने के उद्देश्य से मनपा ने अमृत योजना के तहत नान-नेटवर्क इलाकों में कुल 42 टंकियों का निर्माण करने की योजना तैयार की थी. एक वर्ष से अधिक समय बीत जाने के बाद अब इसमें से केवल 12 टंकियों का काम ही शुरू हो पाया है. जबकि 30 टंकियों का निर्माण खटाई में पड़ने का मामला जलप्रदाय समिति की समीक्षा बैठक में उजागर हुआ. जलप्रदाय समिति सभापति पींटू झलके ने कहा कि इन 30 टंकियों में से अब महानगर पालिका 16 टंकियों के निर्माण के लिए जगह उपलब्ध करने का प्रयास कर रही है. जिन 12 टंकियों का काम शुरू है, उसे मार्च तक पूरा करने की हिदायत प्रशासन को दिए जाने की जानकारी भी उन्होंने दी.

टैंकरमुक्त होगा लकडगंज जोन

उन्होंने कहा कि नान-नेटवर्क क्षेत्र अंतर्गत 377 कि.मी में से 200 किलोमीटर की जलवाहिनी का काम पूरा होने से अब यहां की लकडगंज जोन में 1 नवंबर से 35 टैंकर को कम किया जाएगा. जिससे न केवल 300 ट्रीप कम होगी, बल्की टैंकर से जलापूर्ति के लिए लगनेवाली निधि की भी बचत होगी. उन्होंने बताया कि 24 बाय 7 योजना के अंतर्गत 3.30 लाख उपभोक्ता आते हैं. जिसमें वर्तमान में एक लाख उपभोक्ता 24 बाय 7 योजना का उठा रहे है. शहर में जलापूर्ति की व्यवस्था में कुल 68 कमांड एरिया है. जिसमें से 22 कमांड एरिया में 24 बाय 7 योजना पर अमल किया जा रहा है. ओसीडब्ल्यू को शहर की जलापूर्ति की जिम्मेदारी सौंपते हुए 687 कि.मी की जलवाहिनी बदलने का जिम्मा भी सौंपा गया था. जिसे पूरी तरह बदला जा चूका है. केवल घर-घर कनेक्शन देने का कुछ काम बचा हुआ है. 

195 करोड़ का बकाया, 72 करोड़ की वसूली

जलप्रदाय विभाग का लेखाजोखा देते हुए झलके ने कहा कि अप्रैल से अबतक जल कर के माध्यम से मनपा को 72.26 करोड़ की आय प्राप्त हुई है. जबकि उपभोक्ताओं पर अभी भी 195 करोड़ का बकाया चल रहा है. कोरोना काल में लोगों की आर्थिक त्रास्दी को देखते हुए जल कर के जुर्माना की माफी को लेकर लंबे समय तक किए गए हंगामे के बावजूद अबतक इसका फैसला नहीं किया गया. इस संदर्भ में झलके ने कहा कि स्थायी समिति के माध्यम से पहले ही इसे माफ करने की सिफारिश की जा चूकी है. अब मनपा की सभा को इसका निर्णय लेना है. बड़े मीटर धारकों के संदर्भ में अब बिल्डिंग के आधार पर मीटर देने का निर्णय लेने की जानकारी भी उन्होंने दी.