नागपुर. कोरोना की दूसरी लहर में मेडिकल ऑक्सीजन की कमी से कई मरीजों को जान गंवानी पड़ी. यह लहर इतनी तेजी से बढ़ी कि प्रशासन को ऑक्सीजन का उचित प्रबंधन का मौका ही नहीं मिला. ऐसे में कहीं ऑक्सीजन कम पड़ी तो कहीं उचित व्यवस्था न होने से नष्ट हो गई. ऐसे में राज्य सरकार के निर्देश पर तकनीकी शिक्षा विभाग द्वारा बनाई गई कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि उचित प्रबंधन से 328 ऑक्सीजन सिलेंडर बचाए जा सकते हैं. साथ ही चेतावनी भी दी गई कि शहर के करीब 8 से 10 हॉस्पिटलों में ऑक्सीजन लीकेज की संभावना है क्योंकि यहां रखरखाव में भारी लापरवाही है.
40 टीमों ने किया सर्वे
राज्य सरकार ने तकनीकी शिक्षा विभाग की मदद से कोरोना मरीजों का उपचार कर रहे विभिन्न हॉस्पिटलों में ऑक्सीजन सप्लाई और लीकेज की जांच का निर्णय लिया. इसके लिए तकनीकी शिक्षण के संचालक डॉ. अभय वाघ को नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया. इसके बाद हर जिले में जिलाधिकारी की अध्यक्षता में एक समिति बनाई गई. समिति में जिले के शासकीय इंजीनियरिंग कॉलेज के साथ विभिन्न तकनीकी और औद्योगिक संस्थाओं के प्राचार्यों को सहयोग के निर्देश दिए गए. इसी आधार पर नागपुर के जिलाधिकारी रवींद्र ठाकरे द्वारा तैयार समिति ने यंत्र अभियांत्रिकी के प्राध्यापकों तथा तकनीकी निदेशकों की 40 टीमें तैयार कीं. इन टीमों ने जिले के कुल 203 हॉस्पिटलों में ऑक्सीजन सप्लाई और लीकेज से व्यर्थ होने की आदि की जांच की.
खतरा भी बताया
जांच में नागपुर शहर के 149 हॉस्पिटलों की निरीक्षण किया गया. समिति ने अपनी संयुक्त रिपोर्ट में बताया गया कि उचित प्रबंधन के माध्यम से शहर और ग्रामीण समेत कुल 328 मेडिकल ऑक्सीजन सिलेंडरों की खपत बचाई जा सकती है. निरीक्षण में कुछ खामियां भी पता चलीं. रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि शहर के करीब 8 से 10 हॉस्पिटलों में ऑक्सीजन सप्लाई के लिए तैयार सिस्टम का रखरखाव ठीक नहीं होने से लीकेज की संभावनओं से इंकार नहीं किया जा सकता है. समिति ने अपनी पूरी रिपोर्ट तकनीकी शिक्षा सहसंचालक डॉ. मनोज डायगव्हाणे व शासकीय अभियांत्रिकी महाविद्यालाय के प्राचार्य डॉ. एनडी घवघवे के माध्यम से जिलाधिकारी रवींद्र ठाकरे को सौंपी. इस अवसर पर विभाग प्रमुख डॉ. आरआर चौधरी, डॉ आरजी चौधरी के अलावा प्राचार्य हेमंत आवारे आदि की उपस्थिति रही.