नागपुर. कोरोना काल में अस्पतालों द्वारा की गई अनापशनाप वसूली को लेकर अब तक मनपा को कुल 450 शिकायतें प्राप्त हुई हैं. इन आपत्तियों का निवारण करने के उद्देश्य से अस्पतालों को नोटिस तो भेजा रहा है लेकिन उनकी ओर से इसका जवाब देना तो दूर, सहयोग भी नहीं किया जा रहा है. इसका खुलासा मनपा की ओर से हाई कोर्ट में कोरोना की याचिका पर सुनवाई के दौरान किया गया.
अदालत के सामने इसे रखते हुए अधि. सुधीर पुराणिक का मानना था कि अधिकांश निजी अस्पताल प्रतिसाद नहीं दे रहे हैं. इसके अलावा जो प्रतिसाद दे भी रहे हैं उनका रवैया गैरजिम्मेदाराना है, जबकि आपत्तियों से जुड़ी कुछ जानकारी मांगते हुए निजी अस्पतालों को नोटिस जारी किए जा चुके हैं.
अस्पताल तैयार लेकिन उनके भी कुछ मुद्दे
मनपा की दलीलों का विरोध करते हुए आईएमए का मानना है कि अस्पताल मनपा को पूरी जानकारी उपलब्ध कराने के लिए तैयार हैं लेकिन उनके भी कुछ मुद्दे हैं जिन्हें गंभीरता से लिया जाना चाहिए. मनपा और अस्पतालों के बीच की खींचतान को देखते हुए अदालत ने कहा कि इस तरह से विवाद का हल खोजने की बजाय आपसी समन्वय से इसका हल खोजा जाना चाहिए. यदि मनपा की ओर से अस्पतालों को शिकायतें उपलब्ध कराई जाती हैं तो अस्पताल इन शिकायतों के आधार पर उसका जवाब दे सकेंगे.
जवाब मिलने के बाद मामलों को निपटाने के लिए बैठक लेनी चाहिए. यदि इस तरह की कार्यप्रणाली अपनाने के बावजूद मसला हल नहीं होता है तो ऐसे मामलों को हल करने के लिए अदालत है. अत: मनपा को जो शिकायतें प्राप्त हुई हैं उनकी कापियां अस्पतालों को उपलब्ध कराने के आदेश मनपा को दिए गए.
…तो फिर कड़ा रुख
अदालत ने स्पष्ट किया कि जैसे ही मनपा की ओर से शिकायतें प्राप्त होती हैं, 7 दिनों के भीतर अस्पताल इसका जवाब देंगे. सभी आपत्तियों पर जवाब मिलने के बाद आपस में चर्चा कर इसे सुलझाने का प्रयास किया जाना चाहिए. यदि कुछ बचता है तो ऐसे मामलों में कोर्ट द्वारा निपटा जाएगा. अदालत ने स्पष्ट किया कि शिकायतों पर जवाब नहीं देना या असहयोग को लेकर यदि किसी अस्पताल की शिकायत रही तो इसे गंभीरता से लिया जाएगा. साथ ही कड़ी कार्रवाई भी हो सकती है.