RTMNU, nagpur University

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नागपुर. भूमकाल (नक्सल विरोधी) संगठन के नक्सलवाद विषय पर आयोजित कार्यक्रम में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के विरोध के बाद नागपुर विश्वविद्यालय प्रशासन ने कार्यक्रम से अपना नाम वापस लेने का निर्णय लिया है. वहीं, उपकुलपति डा. मुरलीधर चांदेकर ने भी मुख्यभाषण से इंकार कर दिया. विवि प्रशासन के इस निर्णय को एबीवीपी का दबाव माना जा रहा है. 

केन्द्र में भाजपा सरकार सत्ता में आने के बाद से राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज नागपुर विवि में नक्सलवाद का विषय उठने लगा, वहीं, इस पर एबीवीपी का विरोध हर दिन की बात हो गया है. यही कारण है कि राष्ट्रीय स्तर के वक्ताओं द्वारा सामाजिक विषयों पर होने वाले भाषणों पर एबीवीपी की मांग पर विवि प्रशासन ने नकार दे दिया. इस बारे में भूमकाल संगठन ने बताया कि आयोजन समिति में केवल नागपुर, गोंडवाना और अमरावती विश्वविद्यालय से संलग्नित कालेज होने से निमंत्रण पत्रिका पर विवि का नाम छापा गया है. ऐसे में एबीवीवी द्वारा यह प्रश्न उठाया गया कि विवि का उक्त संगठन के कार्यक्रम से क्या संबंध. इसके तुरंत बाद विवि ने कार्यक्रम से स्वयं को अलग कर लिया. वहीं, उपकुलपति डा. चांदेकर द्वारा मुख्य भाषण से भी इंकार कर दिया गया. 

भूमकाल ने कहा, विषय को समझें
वहीं, भूमकाल संगठन के सचिव प्रा. डा. श्रीकांत भोवते ने कहा कि निमंत्रण पर यह कहीं नहीं छपा है कि विवि आयोजक है. बल्कि बताया गया है कि आयोजन स्थल के तौर पर तय कालेज उक्त विवि से संबद्धित है. प्राध्यापकों को भी यह बात समझनी चाहिए कि कार्यक्रम नक्सल विरोधी है. लेकिन कुछ लोगों ने अप्रत्यक्ष रूप से कार्यक्रम में रद्द करना चाहा और वे इस प्रयास में सफल हो गये. 

दबाव का प्रश्न ही नहीं : डा. चांदेकर
उपकुलपति डा. चांदेकर ने इस विषय पर कहा कि नागपुर या अमरावती विवि द्वारा किसी भी प्रकार की अनुमति नहीं दी गई थी. इसके बावजूद निमंत्रण पत्रिका पर विवि का नाम होने की जानकारी मिली. एबीवीपी का पत्र मिलने से पहले ही हमने भूमकाल से स्पष्टीकरण मांगा. साथ ही विषय गंभीर होने से भाषण का निर्णय भी वापस लिया गया. इसमें एबीवीपी के दबाव की कोई बात ही नहीं.