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    • 59,250 11वीं में कुल सीटें 
    • 9,660 सीटें आर्ट में 
    • 18,000 सीटें कॉमर्स में 
    • 27,460 सीटें साइंस में

    इस बार 10वीं का परिणाम शत-प्रतिशत रहेगा. यही वजह है कि कॉलेजों में खाली रहने वाली सीटें भी भर जाएंगी. इसी बात का फायदा उठाकर कॉलेजों ने अभी से एडवांस बुकिंग शुरू कर दी है. पालकों को भी बताया जा रहा है कि यदि जल्द बुकिंग नहीं करायी गई तो फिर प्रवेश के लिए भटकना पड़ सकता है.

    नागपुर. 10वीं सीबीएसई और स्टेट बोर्ड दोनों के परिणाम अब तक घोषित नहीं हुये हैं. उम्मीद है कि अगले सप्ताह तक परिणाम आ जाएंगे. परिणाम घोषित होने के बाद 11वीं में प्रवेश के लिए सीईटी ली जाएगी. सीईटी के आधार पर जूनियर कॉलेजों में प्रवेश दिये जाएंगे. हालांकि अनेक जूनियर कॉलेजों ने अभी से एडवांस बुकिंग शुरू कर दी है. ट्यूशन-कोचिंग के टाइअप करने वाले जूनियर कॉलेजों ने छात्रों के लिए नियमित क्लोसस और कोचिंग दोनों के विकल्प रखे हैं.

    इसी के अनुसार फीस शेड्यूल भी बनाया गया है. नियमों के विपरीत होने के बावजूद जिले के जूनियर कॉलेजों की मनमानी शुरू हो गई है. नियमानुसार जूनियर कॉलेजों में ही नियमित क्लोसस होनी चाहिए. अनेक अनुदानित जूनियर कॉलेजों के शिक्षकों पर सरकार द्वारा हर वर्ष उनके वेतन पर लाखों रुपये खर्च किये जाते हैं. इसके बावजूद पिछले कुछ वर्षों से नागपुर में टाइअप का नया ट्रेंड चल पड़ा है. 

    टायइप ने बिगाड़ी व्यवस्था 

    स्कूल और जूनियर कॉलेजों का कोचिंग-ट्यूशन से टाइअप होने से छात्र कॉलेजों में केवल प्रवेश लेते हैं जबकि क्लासेस कोचिंग में चलती हैं. यानी पालकों को कॉलेज के साथ ही कोचिंग की फीस अदा करना पड़ती है. कॉमर्स और साइंस फैकल्टी के अधिकांश जूनियर कॉलेजों में यही ट्रेंड है. नियमों की धज्जियां उड़ाये जाने के बाद भी शिक्षा विभाग द्वारा कभी ध्यान नहीं दिया जाता.

    माना जाता है कि इस मिलीभगत में विभाग के अधिकारी भी शामिल हैं. यही वजह है कि अनुदानित जूनियर कॉलेजों को भी नियमित क्लासेस नहीं करने की छूट दे दी गई है. कुछ जूनियर कॉलेजों ने दोनों तरह की फीस अलग-अलग रखी है. यदि छात्र नियमित रूप से क्लासेस करेगा तो उसकी फीस अधिक है. कोचिंग-ट्यूशन में जाने और नियमित क्लासेस नहीं करने वाले छात्रों के लिए कम फीस रखी गई है. 

    शिक्षा विभाग की भी मिलीभगत 

    इन दिनों सिटी के अधिकांश कोचिंग-ट्यूशन में प्रवेश पूरे हो गये हैं. प्रवेश के दौरान ही छात्रों को बता दिया गया है कि उन्हें कॉलेज नहीं जाना है. इतना ही नहीं, कोचिंग वालों ने सीईटी देने के बाद भी उसके टाइअप वाले कॉलेजों में प्रवेश कराने का भरोसा भी दिलाया है. इसका मतलब साफ है कि शिक्षा विभाग के अधिकारी भी टाइअप के इस पूरे ‘खेल’ में शामिल हैं.

    जो छात्र कोचिंग-ट्यूशन की महंगी फीस वहन करने में असमर्थ हैं, उनके लिए 11वीं व 12वीं की पढ़ाई मुश्किल हो गई है क्योंकि लगभग सभी जूनियर कॉलेजों में नियमित क्लासेस नहीं होतीं. बताया जाता है कि इस तरह का ट्रेंड नागपुर से लेकर मुंबई तक बना हुआ है. अधिकारी से लेकर मंत्रालय के आला अफसर भी इस बारे में जानते हैं लेकिन व्यवस्था में सुधार की दिशा में कोई प्रयास नहीं किया जाता.