नितिन गडकरी
भारतीय राजनीति में नितिन गड़करी की पहचान उस नेता के तौर पर होती है जो बातें कम और काम करने पर ज्यादा विश्वास रखता है. जो कहा उसे पूरा किया। अपने व्यवहार और कार्यशैली से सत्ता के साथ-साथ अपने विपक्ष को भी अपना कायल बना दिया। मौजूदा मोदी सरकार में राष्ट्रीय राजमार्ग और लघु उद्योग मंत्री के तौर पर ज़िम्मेदारी संभाल रहे गड़करी प्रधानमंत्री के बहुमूल्य रत्नो में से एक है, जिसे जो काम दिया जाए उसे पूरा होना निश्चित हैं.
महाराष्ट्र के नागपुर में 12 मई 1957 को जयराम गडकरी और भानुताई गडकरी एक मराठी ब्राह्मण परिवार में को जन्म हुआ था. उनके पिता एक किसान थे. नागपुर विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री प्राप्त की हुई हैं. गडकरी राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के स्वयं सेवक हैं. बचपन के दिनों से ही वह संघ के शाखाओं में जाना शुरू कर दिया था. वह संघ के बेहद करीबी नेता के तौर पर जाने जाते हैं.
गडकरी ने 1976 में नागपुर विश्वविद्यालय में भाजपा की छात्र शाखा अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से अपने राजनीतिक जीवन की शुरूआत की। इसके बाद वह मात्र २३ साल की उम्र में भारतीय जनता युवा मोर्चा के अध्यक्ष बने। 1989 में वह पहली बार भाजपा से विधान परिषद के सदस्य बने वह लगातर 20 वर्षो तक सदस्य रहे. इस दौरान वह 1999 में वह भाजपा शिवसेना सरकार में पीडब्लूडी मिनिस्टर बने. अपने चार साल के कार्यकाल में उन्होंने महाराष्ट्र में सड़को और उड़ान पुल का ऐसा जाल बिछाया की लोग उन्होंने गडकरी से रोड़करी कहने लगे. इस दौरान वह विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष भी रहे. वहीं 2004 से लेकर 2009 तक महाराष्ट्र भाजपा के अध्यक्ष भी रहे. गडकरी को 2009 में भाजपा का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाया गया. सिर्फ 52 साल की उम्र में पार्टी के सबसे युवा अध्यक्ष थे. वह 2013 तक इस पद पर बने रहे.
2014 के लोकसभा चुनाव में वह अपने गृह जिला नागपुर से चुनाव लड़ा और लगातार सात बार सांसद रहे कांग्रेस के विलास मुत्तेमवार को 2 लाख 83 हज़ार से ज्यादा वोटों से हराकर लोकसभा के सदस्य निर्वाचित हुए. जिसके बाद वह मोदी सरकार में भूतल परिवहन, राष्ट्रीय महामार्ग मंत्रालय, जहाज़रानी, गंगा सफ़ाई के मंत्री बने. एक विजनरी और काम के प्रति जूनून के लिए पहचाने जाने वाले नितिन ने केंद्रीय मंत्री के तौर अपने काम से सभी को अपना दीवाना बना दिया।
उन्होंने वह काम किया जिसको लोगों ने सोचा भी नहीं था. पहली बार देश के अंदर 100 वाटरवेस बनाया, जहां जहाज़ों के जरिए सामान की ढुलाई शुरू हुई. इसी के साथ देश की भावनाओं में जुड़ी गंगा नदी को साफ़ और निर्मल कर के दिखाया. इसी के साथ देश में विश्व स्तरीय कंक्रीट सड़को का निर्माण कर भारत को दुनिया के उन देशों की सूचि में खड़ा कर दिया जो अपनी बेहतरीन सड़कों के लिए जाने जाते हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव में वह एक बार फिर रिकॉर्ड मार्जिन से जीत कर मोदी सरकार में पुनः भूतल, राष्ट्रीय महामार्ग और एमएसएमई मत्रांलय के मंत्री बनाया गया हैं.
राजीव बजाज
भारतीय उद्योग जगत में राजीव बजाज एक ऐसा नाम हैं, जो कुछ अलग करने और समय को किस तरह अपने अनुकूल बनाना उसे जनता हैं. बजाज ऑटो के प्रबंध निदेशक और मशहूर उद्योगपति राहुल बजाज के पुत्र राजीव का जन्म 21 दिसंबर 1966 में महाराष्ट्र के पुणे में हुआ. उन्होंने पुणे के अकुर्दी में सेंट उर्सुला हाई स्कूल से अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की। 1988 में पुणे विश्वविद्यालय से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिस्टिंक्शन के साथ प्रथम श्रेणी में स्नातक की उपाधि प्राप्त की, और उसके बाद 1990 में यूनिवर्सिटी ऑफ़ वारविक से डिस्टिंक्शन के साथ मैन्युफैक्चरिंग सिस्टम इंजीनियरिंग में मास्टर्स पूरा किया।
बजाज ऑटो के प्रबंध निदेशक बनने से पहले कंपनी के विभिन्न विभागों में काम किया। वह 1990-1995 तक विनिर्माण और आपर्ति विभाग, (1995-2000) तक आर +डी और इंजिनयरिंग विभाग, और 2000-2005 तक मार्केटिंग सेल्स प्रमुख के तौर पार काम किया।
राजीव बजाज की पहचाना एक ऐसे उद्योगपति के तौर पर विख्यात हैं जिसने एक बीमार कंपनी को अपने विजन और काम के जरिए देश की दूसरी प्रमुख ट्व वीलर कंपनी बना दिया। एक समय पर देश की प्रथम कंपनी रही बजाज के लिए 90 का दशक बेहद ख़राब रहा. लगातार गिरती सेल के वजह से एक बीमारू कंपनी के तौर पर पहचान होने लगी, कर्ज के वजह से आर्थिक संकट खड़ा हो गया। राजीव उस समय कंपनी में मार्केटिंग एंड सेल्स विभाग के प्रमुख थे. युवा राजीव ने कंपनी की गिरती साख और बढ़ते संकट को देखते हुए उस समय की बेहतरीन तकनीक और डिज़ाइन का इस्तमाल करते हुए 2001 ‘पल्सर’ गाड़ी लॉच की, जो युवाओं के बीच बेहद लोकप्रिय हुई. लॉंच से लेकर आज तक भारत की सबसे ज्यादा बिकने वाली स्पोर्ट्स बाइक बनी हुई हैं.
प्रकाश छाबरिया
फिनोलेक्स इंडस्ट्रीज लिमिटेड के चेयरमैन प्रकाश छाबरिया को व्यापार का ज्ञान विरासत में मिली हैं. प्रकाश छाबरिया के पिता प्रहलाद छाबरिया ने 1958 में फिनोलेक्स इंडस्ट्रीज की स्थापना की थी. जिसका मुख्यालय पुणे, महाराष्ट्र में स्थित हैं. उनकी कंपनी मुख्यता पीवीसी पाइप और फिटिंग बनाती है, जो मुख्य रूप से कृषि क्षेत्र के व्यवसायों को बेची जाती हैं। कंपनी पीवीसी रेजिन भी बनाती है, जो पीवीसी पाइप और फिटिंग के लिए कच्चे माल के रूप में उपयोग किया जाता है.
प्रकाश ने यूनिवर्सिटी ऑफ़ एवन्सिलवे से ग्रेजुएट की पढ़ाई की, इसके बाद उन्होंने व्हार्टन स्कूल ऑफ़ दा यूनिवर्सिटी ऑफ़ पेंसिल्वेनिया से एमबीए की डिग्री प्राप्त की हैं. पढाई पूरी करने के बाद वह अपने पिता के साथ काम करना शुरू कर दिया। जिसमें वह उप प्रबंध निदेशक, प्रबंध निदेशक रहे. 2012 में पिता की मृत्यु के बाद उन्हें कंपनी का चेयरमैन बनाया गया.
उद्योग और राजनीति के तीनों प्रमुख व्यक्ति सोमवार 26 मई को सुबह 11 बजे नवभारत के फेसबुक पेज पर लाइव आकर लॉकडाउन के बाद पड़ने वाले असर को किस तरह एक अवसर के तौर पर इस्तमाल कर अर्थव्यवस्था को और मजबूत बना सकते हैं इसपर अपने विचार रखेंगे।