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    • 44 एकड़ का उद्यान का दायरा
    • 19 एकड़ जमीन ही करना था हस्तांतरित

    नागपुर. अंबाझरी उद्यान में स्थित डॉ. बाबासाहब आम्बेडकर सांस्कृतिक भवन तोड़े जाने के बाद अब तक कई बार तीव्र भावनाएं व्यक्त की गईं. किंतु गुरुवार को सदन में भी इस मामले को लेकर पार्षदों के बीच तीखी नोकझोंक देखी गई, जबकि कार्रवाई को लेकर सभी के द्वारा तोड़ू कार्रवाई पर रोष जताया गया. विपक्षी नेता तानाजी वनवे की ओर से प्रश्नोत्तरकाल में इस मामले को लेकर प्रशासन को घेरने का प्रयास किया गया. उन्होंने कहा कि भले ही मनपा ने जमीन का अधिकार राज्य सरकार को सौंप दिया था लेकिन ऐतिहासिक इमारत को तोड़ने का अधिकार किस नियम के अनुसार दिया गया, यह समझ से परे है. जिस कम्पनी द्वारा यह कृत्य किया गया उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग उन्होंने की. 

    प्रन्यास है नियोजन प्राधिकरण

    • चर्चा के दौरान प्रशासन की ओर से बताया गया कि अंबाझरी उद्यान का विकास करने के लिए 6 अक्टूबर 2016 को मनपा की सभा में प्रस्ताव पारित किया गया था. 
    • उद्यान की जमीन राज्य सरकार के अधिकार की थी, जबकि केवल मनपा इसकी केयरटेकर रही है. इसी वजह से राज्य सरकार की ओर से 21 जुलाई 2017 को परिपत्रक जारी कर जमीन वापस मांगी गई. परिपत्रक के अनुसार जमीन का अधिकार एमटीडीसी को देना था. 
    • सरकार के निर्देशों के अनुसार नागपुर तहसीलदार ने 30 जनवरी 2018 को इसकी मांग की. जमीन वापस देने के लिए 21 फरवरी 2019 को हुई मनपा की सभा में प्रस्ताव रखा गया जिसे बहुमत से मंजूरी प्रदान की गई है. 
    • जमीन बाद में राज्य सरकार द्वारा एमटीडीसी को दी गई और एमटीडीसी ने एक निजी कम्पनी को लीज पर सौंप दी. जबकि प्रन्यास इसका नियोजन प्राधिकरण है. चर्चा के दौरान बसपा के पार्षद जितेन्द्र घोडेस्वार ने भी कार्रवाई की कड़ी आलोचना की. 

    सरकार ने दिया धोखा

    चर्चा के दौरान कांग्रेस के वरिष्ठ पार्षद संदीप सहारे ने कहा कि अंबाझरी उद्यान का विकास करने के लिए बैठक ली गई थी जिसके अनुसार मनपा और एमटीडीसी की हिस्सेदारी सुनिश्चित की गई थी. हिस्सेदारी के अनुसार मनपा को आय का 75 प्रतिशत और एमटीडीसी को 25 प्रतिशत मिलना था. इसी आधार पर मनपा की सभा में प्रस्ताव रखा गया था. एमटीडीसी ने 18.85 करोड़ खर्च करना था, जबकि मनपा का कुछ भी खर्च नहीं था. इसी वजह से एकमत से सदन ने प्रस्ताव पारित किया था. किंतु तत्कालीन राज्य सरकार ने मनपा के साथ धोखा किया. इस प्रस्ताव को बदलकर पूरा अधिकार एमटीडीसी को दे दिया. उन्होंने कहा कि सदन में पारित हुए प्रस्ताव के अनुसार 44 एकड़ जमीन में से राज्य सरकार को केवल 19 एकड़ हस्तांतरित करने का निर्णय लिया गया था. 

    एक्जीबिशन सेंटर को दिया जाए नाम

    चर्चा के दौरान पक्ष-विपक्षी पार्षदों के बीच हुई नोकझोंक को रोकते हुए महापौर दयाशंकर तिवारी ने कहा कि इस घटना को लेकर जनमानस में काफी रोष है. इन भावनाओं को सरकार तक पहुंचाना जरूरी है. यहां पर एक्जीबिशन सेंटर बनाया जाना है. अत: इसे डॉ. बाबासाहब आम्बेडकर का नाम दिया जाना चाहिए. तोड़ू कार्रवाई के लिए क्या निजी व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई हो सकती है, इसे लेकर सरकार से न्याय मांगा जा सकता है.