Court approves sacking of 12 Manpa employees, High Court validates Munde's decision
File Photo

Loading

नागपुर. साईंबाबा सेवा मंडल के चुनाव की देखरेख के लिए सह धर्मदाय आयुक्त द्वारा सचिव अविनाश शेगांवकर की नियुक्ति को लेकर जारी आदेश को चुनौती देते हुए राजीव जायसवाल की ओर से हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई. याचिका पर लंबी सुनवाई के बाद न्यायाधीश एस.एम. मोडक ने सह धर्मदाय आयुक्त द्वारा जारी किए गए नियुक्ति के आदेश को निरस्त कर दिया. साथ ही अदालत ने पब्लिक ट्रस्ट कार्यालय के निरीक्षक एच.के. गाडगे सहित 3 सदस्यों की समिति का गठन करने के आदेश सह धर्मदाय आयुक्त को दिए.

इसके अलावा अदालत ने प्रथम अपील में जारी किए गए निर्देशों के अनुसार सदस्यों की योग्यता की प्रक्रिया का समाधान करने के लिए अन्य 2 सदस्यों की नियुक्ति के भी आदेश दिए. याचिकाकर्ता की ओर से अधि. देवेन चौहान, सह धर्मदाय आयुक्त की ओर से अधि. एम.ए. कडू और अविनाश शेगांवकर की ओर से अधि. एस.डी. अभ्यंकर ने पैरवी की.

15 दिनों में पूरी करें प्रक्रिया

अदालत ने आदेश में स्पष्ट किया कि योजना के दायरे में रहकर पूरी प्रक्रिया 15 दिनों के भीतर की जानी चाहिए. विशेषत: चुनाव प्रक्रिया के संदर्भ में हाई कोर्ट ने 10 सितंबर 1998 में एक आदेश के तहत खुलासा किया था. अत: इस आदेश के दायरे में रहकर सह धर्मदाय आयुक्त द्वारा आदेश जारी किया गया या नहीं? इसे भी सुनवाई के दौरान खंगाला गया. अधि. चौहान ने कहा कि योजना में परिवर्तन करते समय कुछ प्रावधान करने के हाई कोर्ट ने पहले ही सह धर्मदाय आयुक्त को आदेश दिए थे.

प्रबंधन मंडल का कार्यकाल समाप्त होने के 6 माह पहले ही चुनाव कराने को कहा गया था. चुनाव सम्पन्न होने तक सह धर्मदाय आयुक्त को ट्रस्ट का सर्वेसर्वा नियुक्त किया था. समिति में 3 सदस्यों की सीमा तय कर इन सदस्यों की योग्यता का निर्णय लेने की स्वतंत्रता सह धर्मदाय आयुक्त को दी थी. चूंकि वर्तमान प्रबंधन मंडल में प्रतिवादी सचिव हैं, अत: उन्हें समिति में नहीं रखा सकता है.

चुनाव समिति के सहयोग के लिए नियुक्ति

सचिव शेगांवकर की ओर से पैरवी कर रहे अधि. अभ्यंकर ने कहा कि सह धर्मदाय आयुक्त द्वारा नियुक्त 3 सदस्यीय चुनाव समिति में सचिव को केवल प्रबंधन मंडल की ओर से समिति को सहयोग के लिए शामिल किया गया था. इस संदर्भ में अधि. चौहान का मानना था कि प्रबंधन मंडल द्वारा चुनाव के लिए सहयोग करना और स्वयं चुनाव समिति में शामिल होना अलग-अलग बातें हैं. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता जायसवाल और सचिव शेगांवकर की ओर से एक दूसरे पर आपराधिक मामले होने तथा ट्रस्ट की सम्पत्ति में हेराफेरी करने के आरोप भी लगाए गए. दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद अदालत ने उक्त आदेश जारी किए.