- 3 लाख रु. मांगे एडवांस
नागपुर. कोरोना संक्रमित मरीजों से एडवांस के रूप में शुल्क न लेने के स्वास्थ्य मंत्री के आदेश होने के बावजूद शहर के कुछ अस्पतालों द्वारा लगातार लूट का सिलसिला जारी है. इनके खिलाफ पूर्व महापौर संदीप जोशी द्वारा मोर्चा खोलने के बाद अब दिन-ब-दिन कई मामले भी उजागर हो रहे हैं. इसी शृंखला में अब रामदासपेठ स्थित आयुष्यमान अस्पताल की लूट उजागर करते हुए मनपा आयुक्त राधाकृष्णन बी. को पत्र भेजा गया जिसमें उन्होंने कहा कि तुषार ठवरे नामक मरीज भर्ती होने के लिए अस्पताल पहुंचा था. लेकिन उसे भर्ती कराने से पहले ही 3 लाख रु. नकद जमा करने के निर्देश अस्पताल प्रशासन द्वारा दिए गए. किसी तरह बंदोबस्त कर परिजनों ने निधि जमा कर दी जिसके बाद अस्पताल ने एक कोरे कागज पर स्टैम्प मारकर रसीद के रूप में सौंप दिया. इस तरह से मरीजों से लूट चल रही है. लेकिन इस ओर मनपा प्रशासन का कोई ध्यान नहीं है.
अस्पताल पर तुरंत करें कड़ी कार्रवाई
मनपा आयुक्त को दिए गए पत्र में जोशी ने इस अस्पताल के खिलाफ पुख्ता दस्तावेजी सबूत होने के कारण अब कड़ी कार्रवाई करने की मांग की. साथ ही इसी तरह अन्य अस्पतालों को भी चेतावनी देने की मांग की. उन्होंने कहा कि मरीजों की लूट रोकने के लिए सरकार ने कड़े नियम तय किए हैं. दिशानिर्देश जारी होने के बावजूद इसका पालन होता दिखाई नहीं दे रहा है. निर्देशों के अनुसार अस्पताल में 80 प्रतिशत बेड सरकारी दरों से तथा 20 प्रतिशत बेड व्यवस्थापन की दरों से रखने को कहा गया है. किंतु अस्पताल में मरीज के पहुंचने पर परिजनों में घबराहट का लाभ उठाते हुए सभी को 20 प्रतिशत बेड की श्रेणी में भर्ती कराया जा रहा है. यहां तक कि परिजनों से 20 प्रतिशत व्यवस्थापन के उपलब्ध बेड पर मरीज को भर्ती कराए जाने के दस्तावेजों पर हस्ताक्षर लिए जाते हैं. परिजन इस अवस्था में ही नहीं होते हैं कि वे दस्तावेजी खानापूर्ति पढ़कर पूरा कर सकें. किसी तरह बेड उपलब्ध हो जाए इसी जद्दोजेहद में परिजन कुछ भी करने के लिए तैयार हो जाते हैं.
मनपा ऑडिटर्स की मिलीभगत
-कोरोना के इस संकटकाल में कई अस्पताल, डॉक्टर्स और चिकित्सा टीम अविरत सेवा देकर मरीजों की जान भी बचा रहे हैं.
-इस संकट में कुछ अस्पताल अवसर का लाभ उठाकर लोगों को लूटने का काम कर रहे हैं. इस तरह के प्रकरण लगातार उजागर हो रहे हैं.
-हालांकि मनपा द्वारा प्रत्येक अस्पताल के लिए ऑडिटर्स के रूप में कर्मचारियों की नियुक्ति तो की गई किंतु ऑडिटर्स की अस्पतालों के साथ मिलीभगत दिखाई दे रही है.
-केवल शिकायत मिलने के बाद ही नहीं, बल्कि ऑडिटर्स की प्रत्येक बिल पर नजर होनी चाहिए. इस स्थिति में परिजनों के साथ न्याय हो रहा है या नहीं इसका ध्यान ऑडिटर्स ने रखना चाहिए.
-ऑडिटर्स द्वारा अपने कर्तव्यों का निर्वहन नहीं हो रहा है. यहां तक कि अब उनके कार्य का ही ऑडिट करने की नौबत आ गई है.
अब सबूत दिए, कार्रवाई करें
मरीजों की भले ही लूट चल रही हो लेकिन मनपा प्रशासन लगातार कागजी दस्तावेजों के सबूत मांग रहा है. अस्पताल इन दस्तावेजी सबूतों में फंसना नहीं चाहते इसीलिए कोरे कागजों पर रसीद आदि देते हैं. यहां तक कि एडवांस को उपचार की किसी अन्य प्रक्रिया में दिखा देते हैं. किंतु अब इस मामले में पुख्ता सबूत दिए हैं. अत: प्रशासन अब कार्रवाई करे.
-संदीप जोशी, पूर्व महापौर.