BJP, Tukaram

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नागपुर. मनपा की सभा में लाए गए स्थगन प्रस्ताव पर लगातार 5 दिनों तक चली लंबी बहस के बावजूद महापौर के कुछ दिशा निर्देशों के बाद सभा स्थगित हो गई. अब मनपा आयुक्त मुंढे के खिलाफ बीजेपी की ओर से छेड़ी ‘जंग’ का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि स्मार्ट सिटी में नियमों के विपरित सीईओ बताकर अधिकारों का हवाला देते हुए ठेकेदारों को दिए गए 20 करोड़ के बिल को लेकर भाजपा के शहर अध्यक्ष प्रवीण दटके के नेतृत्व में सीपी भूषणकुमार उपाध्याय को ज्ञापन सौंपा गया. साथ ही तुरंत जांच कर कार्रवाई की मांग की गई. कृष्णा खोपडे, विधायक ना.गो. गाणार, गिरीश व्यास, अनिल सोले, विकास कुम्भारे, मोहन मते आदि शामिल थे.

अबतक शुरू नहीं हुई जांच
सीपी से चर्चा के दौरान दटके ने कहा कि स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में से 20 करोड़ का निधि ठेकेदार को देने की शिकायत 21 जून को ही स्मार्ट सिटी के संचालक संदीप जोशी और सत्तापक्ष नेता संदीप जाधव ने डीसीपी से किया है. डीसीपी की ओर से शिकायत को आर्थिक अपराध अन्वेषण विभाग को भेजने का आश्वासन दिया था.किंतु अबतक किसी भी तरह की जांच शुरू नहीं हुई है. किसी मामले में आम जनता या राजनीतिक दल के किसी नेता या कार्यकर्ता पर आरोप लगते ही तुरंत कार्रवाई की जाती है. किंतु आईएएस अधिकारी यदि नियमों को ताक पर रखकर गैरकानूनी कार्य करता है, तो उसके खिलाफ किसी तरह की कार्रवाई नहीं होना दुखद है. चर्चा के उपरांत सीपी ने जल्द ही नियमों के अनुसार कार्रवाई करने का आश्वासन दिया.

बैंक से भी की शिकायत
एक ओर जहां स्मार्ट सिटी के संचालक के रूप में कुछ दिनों पहले ही महाराष्ट्र बैंक को पत्र देकर कार्रवाई करने की मांग की गई थी. अब भाजपा विधायकों के शिष्टमंडल की ओर से भी संयुक्त शिकायत पत्र बैंक को सौंपा गया. व्यवस्थापक से कहा गया कि केंद्रीय मंत्री गडकरी के प्रयासों से केंद्र सरकार ने स्मार्ट सिटी का प्रोजेक्ट मंजूर किया था. साथ ही निधि भी प्रदान की. मनपा का बैंक आफ महाराष्ट्र में पहले से खाता चल रहा है. इसीलिए स्मार्ट सिटी का भी खाता इसी बैंक में खोला गया.

स्मार्ट सिटी बोर्ड आफ डायरेक्टर की हुई पहली बैठक में आयुक्त मुख्य अधिकारी होने के नाते और उनके हस्ताक्षर से खाता खोलने का निर्णय लिया गया था. किंतु इसके बाद किसी भी प्रकार के स्पष्ट आदेश नहीं थे. इसके बावजूद वर्तमान आयुक्त मुंढे के दस्तखत जोड़े गए. जिसके माध्यम से बैंक से 20 करोड़ का भुगतान किया गया है. जिसकी शिकायत पहले ही संचालकों द्वारा की गई है. अत: किसी भी दबाव में ना आकर नियमों के अनुसार कार्यवाही करने की मांग की गई.