496 on the first day - Shock to Dappur Depot

    Loading

    • हादसों का बना रहता है डर

    नागपुर. सिटी में ऐसा पहला ही बस स्टैंड होगा जो फुटपाथ से संचालित हो रहा है. बसें फुटपाथ पर खड़ी होती हैं.  यात्री भी फुटपाथ पर लाइन लगाकर टिकट ले रहे हैं. उन्हें रोजाना इसी तरह की समस्याओं के बीच यात्रा करनी पड़ रही है. वहीं सड़कों पर बसों की पार्किंग और लंबी लाइनों से आम राहगीरों को जो परेशानी हो रही है उसे देखने वाला भी कोई नहीं है. सिटी बस स्टैंड को बीच सड़क पर ही संचालित किया जा रहा है.

    शहर से अलग-अलग रूटों के लिए संचालित बसें फुटपाथ पर खड़ी रहती हैं. हाल ये है कि बस अड्डा संचालन के लिए मैनेजमेंट के पास जगह तक नहीं है. ऐसे में मुसीबत राहगीरों को होती है. प्रशासन ने कुछ समय पूर्व बस अड्डे का संचालन बाहर से शुरू कराने की कवायद की थी लेकिन उसका भी कोई नतीजा नहीं निकला. फुटपाथ से लेकर मुख्य मार्गों तक बसें खड़ी रहने से जाम की समस्या भी होती है लेकिन प्रशासन को इन समस्याओं से कोई लेना- देना नहीं है.

    पैर रखने नहीं मिलती जगह

    इस बस अड्डे से सिटी के विभिन्न रूटों के अलावा जिले के अन्य हिस्सों में भी बसों का संचालन होता है. मोर भवन बस स्टैंड के बाद महाराजबाग रोड पर बसों की लंबी लाइन नजर आती है. कई बार बस ड्राइवर 2 से 3 लाइन बनाकर सड़कों को जाम कर देते हैं लेकिन इसके बाद भी ट्रैफिक पुलिस के जवान इसे ठीक करने में कोई खास दिलचस्पी नहीं लेते हैं. इससे यात्रियों को इससे काफी समस्या हो रही है. कई मार्गों पर ऐसा ही नजारा दिखता है. इसके कारण राहगीरों को फुटपाथ पर पैर रखने तक की जगह नहीं मिलती है.

    बस स्टॉप हो चुके हैं बदहाल

    इस रूट पर सिटी बसों के लिए बनाए गए बस स्टाप भी बदहाल हो चुके हैं. रविनगर बस स्टैंड पर तो अब स्टाफ तक नजर नहीं आता है. वहीं बाकी बस स्टैंड पर भी यात्रियों से ज्यादा टाइम पास और असामाजिक तत्वों की भीड़ सबसे ज्यादा रहती है. यात्री सुविधा एकदम जीरो हो चुकी है लेकिन मैनेजमेंट को इन सब चीजों से कोई लेना-देना नहीं है. 

    टैक्सियों के स्टैंड भी बने मुसीबत

    टैक्सियों के स्टैंड भी सड़क किनारे फुटपाथों से संचालित किए जा रहे हैं. सुबह से लेकर रात तक फुटपाथ पर वाहनों का कब्जा रहता है जिसके चलते दिन में अक्सर जाम लगा रहता है. इससे लोगों को परेशानी तो होती ही है, साथ ही प्रमुख मार्गों पर यातायात भी प्रभावित होता है. लगभग 2 वर्ष पूर्व प्रशासन ने बस स्टैंड के लिए नई जगह की प्लानिंग की थी, लेकिन बात सिर्फ बैठकों तक ही सीमित रही. कोशिश के बाद न तो जगह का इंतजाम किया जा सका और न ही अड्डों का संचालन कराया जाना सुनिश्चित हो सका.

    जगह का है बड़ा अभाव

    बस स्टैंड के स्टाफ का कहना है कि सिटी का बस स्टैंड सिटी के अंदर रहे तो ही ज्यादा अच्छा है. लेकिन फुटपाथ पर बसों को खड़ा करना मजबूरी है. सिटी के अंदर बस स्टैंड के लिए पर्याप्त जगह तक नहीं है. अगर संबंधित रूट पर उपयुक्त जगह मिलती है तो बसों का संचालन वहां से शुरू कराया जाएगा.