प्रतीकात्मक
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    • पैसों के लालच में लोगों की जान से कर रहे खिलवाड़
    • प्राइवेट बसों में चल रही मनमानी

    नागपुर. कोरोना का संक्रमण अभी संभला नहीं है, तीसरी लहर अगस्त में आने की संभावना जताई जा रही है लेकिन  प्राइवेट बस संचालक सब कुछ भूल कर केवल पैसे कमाने में लगे हुए हैं. बसों में यात्रियों को जानवरों की तरह-तरह ठूंस-ठूंसकर भरा जा रहा है. इस पर न तो कभी कोई कार्रवाई हो रही है और न ही इसे लेकर किसी तरह की चालानी कार्रवाई की जा रही है. इससे प्राइवेट बस संचालकों के हौसले बुलंद हो गए हैं. लेकिन इन सब के बीच आम यात्रियों की जान के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है.

    थोड़े से मुनाफे के लालच में लोगों की जान के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है. बसों में किसी भी तरह के नियमों का पालन नहीं किया जा रहा है. ऐसी बसों की रास्ते में किसी तरह की कोई जांच तक नहीं की जाती है. ऐसे में कोरोना का संक्रमण अगर फैल गया तो काफी लोगों को अपनी चपेट में ले लेगा.

    इंदौर ट्रेवल्स की बसों में खुलेआम मनमानी

    बसों में सबसे बदतर स्थिति इन दिनों इंदौर ट्रेवल्स के बसों की है. रायपुर से सुबह 5.30 बजे निकलकर दोपहर में 1.30 बजे नागपुर आने वाली 32 सीटर बसों में 60 से अधिक यात्रियों को बैठाकर लाया जा रहा है. दुर्ग से लेकर चिचोला तक यात्रियों को भरा जाता है. बस के अंदर ही सीट के ऊपर भी एक फोल्डिंग सीट बनाई गई है, जिसमें करीब 10 लोगों को ऊपर बैठाया जाता है. हर डबल सीट में तीन यात्रियों को और सिंगल सीट में दो यात्रियों को बैठा रहे हैं. इसके बाद भी 10 से ज्यादा यात्री खड़े होकर सफर करते हैं. नियमों की धज्जियां तो उड़ाईं ही जा रही है, साथ ही यात्रियों के जान के साथ खिलवाड़ भी किया जा रहा है.

    बॉर्डर पर नीचे बैठा देते हैं यात्री

    छत्तीसगढ़ से नागपुर आने वाली इंदौर ट्रेवल्स की इस बस में जो यात्री खड़े रहते हैं उन्हें बॉर्डर पर और टोल नाके पर नीचे बैठने कह दिया जाता है. ताकि किसी की नजरें खड़े यात्रियों पर न पड़े. इसके अलावा छत्तीसगढ़ बॉर्डर पर बैठे सिपाहियों को पहले ही जाकर नजराना दे दिया जाता है, जिससे पुलिस के जवान बसों के अंदर झांकते भी नहीं है. इस तरह सेटिंग से इनका रोज का कारोबार हो रहा है. लेकिन इस बीच ये बस संचालक कोरोना के संक्रमण को नजर अंदाज कर रहे हैं.   

    यात्रियों से वसूल रहे मनमाना किराया

    बसों में यात्रियों को काफी हद तक मानसिक रूप से भी प्रताड़ना सहनी पड़ रही है. दो सीट पर तीन यात्रियों को बैठाने पर एक महिला ने विरोध किया. बस कंडक्टर ने उसे चिचोला से काफी पहले ही उतार दिया. वहीं कमीशन के 100 रुपए अतिरिक्त काट लिए. इसी तरह सभी यात्रियों को ठूंस-ठूंस कर बैठने पर मजबूर किया जाता है. विरोध करने पर उन्हें बीच रास्ते में ही ज्यादा किराया लेकर उतारा जा रहा है. बस कंडक्टर द्वारा यात्रियों को न तो टिकट दिया जा रहा है और न ही किसी तरह की पर्ची. मनमर्जी जितना मन चाहे उतना यात्रियों से किराया वसूला जा रहा है. मजबूरन यात्रियों को सफर करना पड़ रहा है.

    सभी प्राइवेट बसों की हो जांच 

    इन दिनों अनलॉक होने पर सबसे ज्यादा यात्रा मजदूर वर्ग कर रहा है. छत्तीसगढ़, हैदराबाद  के ज्यादातर मजदूर बसों से नागपुर पहुंच रहे हैं. ऐसे में प्राइवेट बसों की मनमानी को लेकर विभागीय अधिकारियों को कार्रवाई करने की जरूरत है. सिटी के अंदर आने वाली सभी बसों की जांच की जाए. ताकि कोई संक्रमित व्यक्ति जिले में प्रवेश न कर सकें. इन दिनों बसों में न तो सोशल डिस्टेंसिंग दिख रही है और न ही किसी यात्री के चेहरे पर मास्क नजर आ रहा है.