Court approves sacking of 12 Manpa employees, High Court validates Munde's decision
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नागपुर. देश में इमरजेन्सी लागू करने के दौरान विभिन्न गतिविधियों में शामिल लोगों के खिलाफ मेन्टेनेन्स आफ इंटरनल सिक्युरिटी एक्ट (मिसा) के तहत कार्रवाई की गई. यहां तक जेल में बंदी बनाया गया. ऐसे बंदियों को तत्कालीन सरकार की ओर से पेंशन लागू की गई. किंतु अब कोरोना के चलते आर्थिक स्थिति बिगड़ जाने का हवाला देते हुए राज्य सरकार की ओर से मिसा बंदियों की पेंशन पर अस्थायी रोक लगा दी.

इस संदर्भ में जारी आदेश को चुनौती देते हुए विजय फालके एवं अन्य 3 की ओर से हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया. जिस पर सुनवाई के बाद न्यायाधीश रवि देशपांडे और न्यायाधीश पुष्पा गनेडीवाला ने राज्य सरकार को नोटिस जारी कर 8 सप्ताह में जवाब दायर करने के आदेश जारी किए. 

मूलभूत अधिकारों पर लगी थी रोक
याचिकाकर्ता ने याचिका में कहा कि इमरजेन्सी के दौरान जब देश भर में लोगों के मानवाधिकार पर रोक लग गई थी. उस समय उन्होंने सरकार के इस रवैये के खिलाफ आंदोलन किया था. जान को खतरे में डालकर लोकतांत्रिक आंदोलन में हिस्सा लेकर अपना योगदान दिया था. यहां तक कि आंदोलन के दौरान उन्हें मिसा कानून और डिफेन्स आफ इंडिया रूल्स (डीआईआर) के तहत बंदी बनाकर जेल में डाल दिया गया.

लोकतांत्रिक जनांदोलन में हिस्सा लेनेवालों एवं जेल में सजा भुगतनेवालों का सम्मान करते हुए राज्य सरकार ने 3 जुलाई 2018 को एक आदेश जारी किया. जिसमें इमरजेन्सी के दौरान एक माह से अधिक समय तक जेल में रहनेवालों को 10 हजार रु. प्रति माह और उनके मृत्यु के पश्चात पत्नी को 5 हजार रु. की सम्मान राशी देने की घोषणा की गई थी. 

आर्थिक स्थिति के कारण योजना बंद
याचिकाकर्ता ने याचिका में कहा कि 31 मई 2019 को जिलाधिकारी की ओर से पत्र जारी किया गया. जिसमें राज्य सरकार की ओर से याचिकाकर्ताओं को सम्मान राशी देने का निर्णय लेने की जानकारी दी गई. साथ ही ऐसे लोगों के नामों की सूची भी जारी की गई. निर्णय के अनुसार सभी याचिकाकर्ताओं को 2 जनवरी 2018 से जनवरी 2020 तक निधि मिलती रही.

29 मई 2020 को निधि के लिए बजट में प्रावधान किए जाने को लेकर राज्य सरकार ने अधिसूचना भी जारी की. किंतु 31 जुलाई को पुन: राज्य सरकार की ओर से अलग से अधिसूचना जारी की गई है. जिसमें राजस्व में कटौती और कोविद-19 के चलते आर्थिक स्थिति को देखते हुए योजना बंद करने की घोषणा की गई है. सुनवाई के बाद अदालत ने उक्त आदेश जारी किए.