तीसरी लहर में ढाल बनेगा बचपन का टीका, बच्चों को डराने की नहीं बचाने की जरूरत

    Loading

    •  12 से 23 महीने की उम्र वालों को वैक्सीनेशन बेहद फायदेमंद 

    नागपुर: स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने कोरोना की तीसरी लहर की संभावना जताई है. कोरोना की तीसरी लहर बच्चों के लिए बेहद खतरनाक बताई जा रही है. केंद्र और राज्य सरकारें अपने हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहद मजबूत करने में जुटी हुई हैं. दूसरी लहर में जहां सभी को वैक्सीन दी जा रही है ताकि उन पर कोरोना का असर न हो. ऐसे में बच्चों के वैक्सीनेशन की बात की जाए तो 12 से 23 महीने की उम्र में लगने वाला बच्चों के लिए बेहद फायदेमंद होता है. ऐसे में बच्चों का टीकाकरण राज्य में सबसे अच्छा जिले का ही है.

    बच्चों के इम्यून सिस्टम को बेहतर करने वाला बीसीजी का टीका जिले के हर बच्चों को लगाया गया है. केंद्र की हेल्थ सर्वे रिपोर्ट के अनुसार जिले में 12 से 23 माह की उम्र में 100% बच्चों को बीसीजी का टीका लगाया जा चुका है. 2015-16 की रिपोर्ट में 96.1% बच्चों को बीसीजी का टीका लगाया गया था लेकिन 2019-20 में यह 100% हो गया. वहीं जिले में सभी तरह के टीका लगाने के मामले में भी जिला बेहतर स्थिति में है. तीसरी लहर को लेकर बच्चों को डराने की नहीं, बल्कि उन्हें संक्रमण से बचाने के लिए समझाने की जरूरत है. 

    पैरेंट्स हो रहे जागरूक, लगवा रहे डोज

    बच्चों को बचपन में लगाए जाने वाले टीका में जिले की स्थिति बेहतर है. पहले की तुलना में पैरेंट्स अब जागरूक हो रहे हैं. जिले के 89.4% बच्चों को उनके पैरेंट्स टीका लगाने वक्त पर जाते हैं. ये वह वैक्सीन है जो 12 से 23 माह तक के बच्चों को लगाए जाते हैं. पांच साल में यह आंकड़ा 12.9% बढ़ा है. 2015-16 की बात की जाए तो उस वक्त केवल 76.5% बच्चों को पैरेंट्स टीका लगावाने पहुंचे थे. पैरेंट्स अस्पताल में मिले टीकाकरण कार्ड और अन्य जानकारी के आधार पर पूरी तरह टीका लगाने पहुंच रहे हैं. बचपन में लगाए गए टीके बच्चों के अंदर रोग प्रतिरोधक क्षमता पैदा करते हैं.    

    94.7% बच्चों को पोलियो के भी खुराक 

    जिले के बच्चों की सेहत की बात की जाए तो पालकों की जागरूकता के कारण बच्चों के स्वास्थ्य पर कोरोना की तीसरी लहर ज्यादा प्रभावी नहीं हो पाएगी. जिले के 94.7% बच्चों को पोलियों के टीके की तीन खुराक मिल चुकी है. जो पिछले पांच सालों की तुलना में 10.4% ज्यादा है. वहीं 20.7% पैरेंट्स प्राइवेट अस्पतालों में जाकर बच्चों को टीका लगवा रहे हैं. नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे रिपोर्ट-5 में नागपुर जिले में बच्चों के लिए गए कुछ सैंपल पर यह रिपोर्ट तैयार की गई है. इसमें बच्चों के वैक्सीनेशन पर जानकारी दी गई है. बच्चों में रोटावायरस के टीके कम लगे हैं. नई रिपोर्ट में नागपुर जिले में केवल 9.6% बच्चों को पैरेंट्स रोटावायरस की टीका लगवा रहे हैं.  

    पैरेंट्स को भी सजग रहना होगा

    विशेषज्ञ डॉक्टरों का मानना है कि बचपन में बच्चों को जो टीके लगाए जाते हैं वो उनकी सेहत पर खासा प्रभाव डालते हैं. जिले में बच्चों का वैक्सीनेशन काफी अच्छा है. कोरोना के जो वैक्सीन आए हैं वो छोटे बच्चों के लिए नहीं है. ऐसे में इस वक्त बच्चों को बचाने के लिए पैरेंट्स को काफी सजग रहना होगा. बच्चों का खास ख्याल रखने की भी जरूरत है. बच्चों का इम्यून सिस्टम बढ़ाने के लिए घरेलू उपाय भी करने होंगे.   

    संक्रमण से लड़ने में अहम भूमिका

    यूनिवर्सिटी ऑफ एक्सेटर ब्रिटेन में हुए शोध के अनुसार बताया जा रहा है कि बीसीजी का टीका टीबी की रोकथाम के लिए तैयार किया गया है. लेकिन ऐसे प्रमाण मिले हैं कि यह दूसरी संक्रामक बीमारियों से बचाव में भी कारगर साबित हो सकती है. इस वैक्सीन को इस तरह बनाया गया है कि ये शरीर के इम्यून सिस्टम या प्रतिरोधी क्षमता को एक ख़ास संक्रमण से बचाव के लिए तैयार करता है. लेकिन इसका इम्यून सिस्टम पर इतना व्यापक प्रभाव पड़ता है कि उसे देखकर लगता है कि यह दूसरी संक्रामक बीमारियों से भी हमारे शरीर को बचा सकता है. कोरोना वायरस के संक्रमण के मामले में भी यह प्रभावी साबित हो सकता है.