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    नागपुर. कोरोना के बाद अब जिले के ग्रामीण भागों में डेंगू अपना कहर ढा रहा है. हाल ही हुई स्थायी समिति की बैठक में भी यह मुद्दा उठा था. तब अध्यक्ष रश्मि बर्वे ने कहा था कि सरकारी आंकड़ों में भले ही जिले में 300 के करीब डेंगू के मरीज हों लेकिन निजी अस्पतालों में भी बड़ी संख्या में पीड़ित हैं और यह संख्या 500 से अधिक हो सकती है.

    ग्रामीण भागों में बारिश के दिनों‍ में संक्रामक रोग फैलने का खतरा बना ही रहता है. बावजूद इसके 81 गांवों में नागरिकों को दूषित पेयजल की आपूर्ति हो रही है. जुलाई महीने में जिले के 1,066 गांवों के पेयजल के नमूनों की जांच की गई जिसमें रामटेक, भिवापुर, कलमेश्वर तहसील के 81 गांवों में पानी दूषित होने का खुलासा हुआ है. 

    घोर निष्क्रियता का परिणाम

    गांव के नागरिकों को शुद्ध पेयजल आपूर्ति की जिम्मेदारी संबंधित ग्राम पंचायत की होती है. ग्रामसेवकों व संबंधितों कर्मचारियों को जलस्रोत के आसपास साफ-सफाई के साथ जलस्रोत में ब्लिचिंग पाउडर डालने की जिम्मेदारी होती है. लेकिन लगता है घोर निष्क्रियता की जा रही है और संबंधित विभाग के अधिकारी आंख बंद किये बैठे हैं.

    जिन गांव में दूषित पेयजल पाया जाता है तो संबंधित जिम्मेदार कर्मचारी के खिलाफ कार्रवाई की जाती है लेकिन ऐसा कुछ होता नजर नहीं आ रहा है. सत्ता में बैठे पदाधिकारियों को भी लगता है चिंता नहीं है. जनवरी महीने में भी रामटेक तहसील में सबसे अधिक दूषित जल के नमूने पाए गये थे लेकिन अब तक उसमें सुधार नहीं किया गया है.