nmc

  • मुख्यालय में किया प्रदर्शन, आयुक्त को सौंपा ज्ञापन

Loading

नागपुर. केंद्र सरकार की कामगार विरोधी नीति के खिलाफ गुरुवार को जहां देशभर में एक दिन की देशव्यापी हड़ताल की गई, वहीं मनपा में भी ठेका कामगारों का गुस्सा प्रशासन पर उबल पड़ा. मुख्यालय में तमाम मांगों को लेकर न केवल नारेबाजी की गई, बल्कि जमकर प्रदर्शन भी किया गया. विशेषत: केंद्रीय श्रमिक संगठनों की समन्वय समिति की ओर से असंगठित कामगारों को एकजुटता दिखाने की अपील की गई थी.

समिति की अपील पर ही नागपुर म्युनिसिपल कार्पोरेशन एम्प्लाइज यूनियन, नागपुर महानगरपालिका एवजदार कामगर संगठन, नागपुर महानगरपालिका ठेकेदार कामगार संगठन, नागपुर महानगरपालिका अस्थायी स्वास्थ्य कर्मचारी तथा नागपुर जिला पथ विक्रेता (हाकर्स) संघ की ओर से प्रदर्शन में हिस्सा लिया गया, जिसके बाद मनपा आयुक्त राधाकृष्णन. बी को ज्ञापन सौंपा गया. प्रतिनिधिमंडल में जम्मू आनंद, रमेश गवई, रूपेश साजरे, शिरीष फुलझेले, शिवा बावने, धरती दुरुगवार, अर्चना मंगरूलकर, ममता कावले, देविना रेनडके, सचिन अटालकर, अनिता मेंढे, चंद्रभान गजभिए, इंदु गजभिए, प्रकाश मेश्राम, प्रकाश तायवाडे, कविता धीर, नरेन्द्र पुरी, मुश्ताक शेख शामिल थे.

ठेका कामगारों को न्याय नहीं

प्रदर्शन के दौरान जम्मू आनंद ने कहा कि मनपा में कार्यरत एवजदार कामगारों को स्थायी करने के नाम पर पिछली सरकार द्वारा जो सफाई कामगारों के अधिसंख्य पद निर्मित किए गए, वह एवजदार कामगारों के साथ अन्याय है. इन अधिसंख्य पद को नियमित सफाई कामगारों के पद में परिवर्तित कर सभी कामगारों को लाड-पागे समिति की सिफारिशें लागू की जानी चाहिए. मनपा में कार्यरत ठेका कामगारों खासकर 24 x 7 पानी की योजना के कामगारों को महाराष्ट्र सरकार द्वारा 24 फरवरी 2015 को घोषित किमान वेतन लागू किया जाए.

राष्ट्रीय शहरी स्वास्थ्य मिशन एवं राष्ट्रिय क्षय रोग निर्मूलन कार्यक्रम के तहत कार्यरत तमाम अस्थायी स्वास्थ्य ठेका कर्मचारियों को सरकार द्वारा वेतन सुसूत्रीकरण के तहत घोषित मानधन का वर्ष 2018 से बकाया अविलंब दिया जाए. उन्होंने कहा कि कामगारों के हितों की बात तो सभी करते हैं, लेकिन उन्हें न्याय नहीं दिया जा रहा है. इसी वजह से कर्मचारियों को अपने अधिकार के लिए प्रदर्शन करना पड़ रहा है.

आशा वर्कर्स को दें 300 रु. का प्रोत्साहन भत्ता

उन्होंने कहा कि आशा वर्कर्स को प्रोत्साहन पर भत्ता की पद्धति बंद कर न्यूनतम वेतन लागू किया जाना चाहिए. इसके अलावा कोविड काल में किए गए कार्यों के लिए प्रतिदिन 300 रु. प्रोत्साहन भत्ता दिया जाना चाहिए. ठेका कामगारों के प्रति महानगरपालिका ने अपनी नीति बनानी चाहिए. नागरिक सेवाओं का निजीकरण रद्द कर पुनः निगम के दायरे में लाया जाए, मनपा में व्याप्त रिक्त मंजूर पदों पर कर्मचारियों की नियुक्ति, मनपा द्वारा संचालित दवाखानों में रिक्त पदों पर अविलम्ब नियुक्तियां कर स्वास्थ्य सेवा को सशक्त करने, मनपा से स्थायी कर्मचारियों एवं शिक्षकों को छठवां वेतन आयोग का बकाया तथा सातवां वेतन आयोग 1 जनवरी 2016 से लागू करने तथा फुटपाथ दूकानदारों के खिलाफ गैरकानूनी कार्यवाही पर रोक लगाने की मांग भी उन्होंने की.