Nagpur District Court

  • 17 वकीलों की हो चुकी है मौत
  • 175 से अधिक वकील चपेट में

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नागपुर. कोरोना के लगातार बढ़ते संक्रमण के कारण हाई कोर्ट में तो वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से सुनवाई की व्यवस्था कर दी गई, किंतु जिला सत्र न्यायालय में इस तरह की व्यवस्था नहीं होने के कारण न केवल वकील, बल्कि जज भी कोरोना से बाधित होने की लगातार घटनाएं उजागर हो रही है. इसकी भलींभांति जानकारी होने के बावजूद जिला सत्र न्यायालय में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग या वैकल्पिक व्यवस्था से सुनवाई नहीं कराने पर डिस्ट्रिक्ट बार एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष अधि. सुदीप जायसवाल ने कड़ी आपत्ति जताई. उन्होंने कहा कि कोरोना की दूसरी लहर शुरू होने के कुछ दिन पहले से अब तक 4 माह के भीतर 17 वकीलों की मौत हो चुकी है. यहां तक कि अब तक 175 से अधिक वकील कोरोना की चपेट में आ चुके हैं. लेकिन इसे गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है.

4 कोर्ट पूरी तरह करने पड़े बंद

उन्होंने कहा कि कुछ समय पहले 5-6 जज कोरोना की चपेट में आए थे. जिन्होंने इलाज कराने के बाद पुन: काम शुरू कर दिया. वर्तमान में पुन: स्थिति बिगड़ी हुई है. 4 कोर्ट में जज के साथ ही पूरा स्टाफ कोरोना बाधित होने के कारण इन कोर्ट को बंद करना पड़ा है. विशेषत: 15 दिनों के भीतर ही 4 वकीलों की मौत हुई है. सोमवार को मेडिकल अस्पताल में एक वकील की मौत हो गई है. लगातार हो रही मौतों को लेकर पूरा विधि क्षेत्र ही सकते हैं. हालांकि हाई कोर्ट में वीसी से सुनवाई होने के कारण वहां इस तरह की घटनाएं दिखाई नहीं दे रही हैं. किंतु जिला सत्र न्यायालय में वकीलों की तादात और यहां आनेवाले मुव्वकिलों की संख्या के कारण लगातार बाधितों के आंकड़े बढ़ते जा रहे हैं. जिसे रोकने के लिए किसी तरह के उपाय नहीं किए जा रहे हैं.

कौन संभालेगा परिवार

जिला सत्र न्यायालय में वकीलों की बड़ी फौज है. तमाम विपरीत परिस्थितियों में काम को अंजाम देकर वकील अपने पेशे को न्याय देने का प्रयास कर रहा है. किसी तरह परिवार के पालन-पोषण की जद्दोजहद के बाद इस तरह से वकीलों की मौत हो जाती है. जिसके बाद पूरे परिवार पर ही आसमान टूट पड़ता है. मुखिया ही चले जाने पर इन परिवारों को कौन संभालेगा, यह प्रश्न सभी के सामने खड़ा है.

-सुदीप जायसवाल, पूर्व अध्यक्ष, डीबीए.

न सुरक्षा व्यवस्था, न वैक्सीनेशन

-जिला सत्र न्यायालय में प्रवेश के दौरान सुरक्षा के नाम पर केवल आगंतुकों का टेम्परेचर लिया जाता है. यह भी आगंतुक चाहे, तभी यह प्रक्रिया अपनाई जाती है. अन्यथा बिना जांच के प्रवेश मिल जाता है.

-सुरक्षा के नाम पर टेबल पर बैठे कर्मचारी आगंतुकों का केवल नाम और कहां जाना है. इसकी जानकारी दर्ज कर छोड़ देते हैं.

-सत्र न्यायालय में प्रवेश करनेवाला कोरोना से बाधित है या नहीं, इसका आंकलन करने की कोई प्रक्रिया नहीं है.

-सत्र न्यायालय में हजारों वकील होने से उनके लिए अलग से वैक्सीनेशन का इंतजाम किया जा सकता है. जिससे वकील बाधित होने पर इसका असर भयावह नहीं हो पाएगा.