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  • परिजनों को दी गलत जानकारी, चेहरे से हुई पहचान

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नागपुर. शासकीय वैद्यकीय महाविद्यालय व अस्पताल में एक मरीज की कोरोना से मौत शव सौंपने को लेकर गडबडी सामने आई. मनपा के साथ ही मेडिकल प्रशासन द्वारा अन्य परिजनों को फोन पर मौत की जानकारी दी गई. मौत होने की जानकारी मिलते ही गमगीन माहौल में परिजन मेडिकल पहुंचे लेकिन शव की ऊंचाई को लेकर संदेह होने पर चेहारा देखने के बाद पता चला कि वह उनका परिजन नहीं है. जानकारी के अनुसार ताज बाग निवासी 62 वर्षीय मरीज को पिछले दिनों कोरोना होने की पुष्टि के बाद मेडिकल में भर्ती करवा दिया गया था.

गुरुवार को मेडिकल प्रशासन ने तड़के 4 बजे परिजनों को फोन कर बताया कि मरीज की मौत हो गई है. सुबह 10 बजे पुलिस और मनपा ने भी जानकारी दी. सुबह-सुबह परिजन दुखी मन से मेडिकल पहुंचे लेकिन शव देखने के बाद उन्हें अपने परिजन की ऊंचाई को लेकर संदेह हुआ. जब शव का चेहरा देखा तो पता चला कि यह उनका परिजन नहीं है. इसके बाद परिजनों ने हंगामा खड़ा कर दिया. परिजनों द्वारा उनका परिजन होने से इंकार करने पर डाक्टर सहित अन्य स्टाफ में भी हडकंप मच गया.

डाक्टरों ने सभी वार्ड में पता किया तब जाकर पता चला कि हंगामा मचाने वाले परिजनों का मरीज आईसीयू 3 में भर्ती है. जबकि मरने वाला कोई और मरीज था. इस घटना से मेडिकल प्रशासन की लापरवाही सामने आ गई है. बताया गया कि मरीजों के दस्तावेज बदल जाने के कारण यह गडबडी हुई. यदि परिजन मृतक का चेहरा नहीं देखने दिया जाता तो परिजन अपने जिंदा रिश्तेदार को ही मृतक मानकर उसका अंतिम संस्कार भी कर देगे. इस लापरवाही ने मेडिकल प्रशासन की कार्यप्रणाली पर भी अनेक सवाल खड़े कर दिये है.

जलगांव भेजे गये 3 निवासी डाक्टर पाजिटिव
एक ओर जहां मेडिकल में ही डाक्टरों की कमी महसूस हो रही है. वहीं दूसरी ओर अन्य शहरों में सेवा के लिए भेजना का सिलसिला जारी है. इस बीच जलगांव में कोरोना ड्यूटी के लिए गए भेजे गये 4 निवासी डाक्टरों में से 3 कोरोना संक्रमित हुये. निवासी डाक्टरों का कहना है कि जलगांव में व्यवस्था उपयुक्त नहीं है. उपचार के दौरान पहनने के लिए मिलने वाली पीपीई किट और अन्य सामग्री की गुणवत्ता भी अच्छी नहीं है. ऐसे में सुरक्षा दृष्टि से अपने साथ ले गए मॉस्क और पीपीई किट का उपयोग निवासी डाक्टरों को करना पड़ा. सिटी में ही में लगातार कोरोना के मरीजों की संख्या बढ़ रही है ऐसे में यहां भी निवासी डाक्टरों की जरुरत है. ऐसे में यदि यहां के निवासी चिकित्सकों की ड्यूटी बाहर लगाई तो यहां के मरीजों के उपचार में परेशानी होगी.