Corona can enter brain through nose: study

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    नागपुर. कोरोना के पीक के दौरान अन्य बीमारियों की तरह ही मस्तिष्क से संबंधित बीमारियों  की ओर भी दुर्लक्ष हुआ. इस बीच  ऑपरेशन भी बंद थे. आईसीयू में जगह नहीं थी. मरीजों की नियमित जांच-पड़ताल नहीं हो सकी. यही वजह रही कि मरीजों को तकलीफ सहन करना पड़ा, लेकिन सेकंड वेव के दौरान हालात सामान्य होने के साथ ही मरीजों की संख्या में वृद्धि होने लगी. डॉक्टरों का मानना है कि कोरोना काल में मस्तिष्क से जुड़ी बीमारियां बढ़ी है.

    ‘विश्व मस्तिष्क दिवस’ पर सिटी के विशेषज्ञों ने अपने अनुभव व्यक्त किये.कोरोना काल में फिट आना, ब्रेन ट्यूमर जैसी बीमारियों की ओर दुर्लक्ष हुआ है. इतना ही नहीं कई नियोजित शस्त्रक्रिया भी रोक दी गई थी. डॉक्टरों से फॉलोअप नहीं होने से कारण औषधोपचार में भी बाधा आई. इससे बीमारी अधिक बढ़ने लगी और मरीजों को ज्यादा परेशानी सहन करना पड़ा. न्यूरोसर्जन डॉ. अक्षय पाटिल मानते हैं कि कोरोना काल में डी-डायमर बढ़ने से स्ट्रोक, ब्रेन हेमरेज जैसी घटनाएं बढ़ी है.

    दूसरी लहर के वक्त सेरेब्रल म्यूकोर माइकोसिस का भी ब्रेन पर असर हुआ. यह बीमारी जानलेवा होने से ब्रेन विशेषज्ञों ने नवीनतम पद्धति का उपचार कर मरीजों की जान बचाई. न्यूरोसर्जन डॉ. निनाद श्रीखंडे ने बताया कि अब तीसरी लहर के लिए वैद्यकीय व्यवस्था तैयार है. यही वजह है कि तीसरी लहर से पहले ब्रेन से जुड़ी बीमारियों से ग्रसित मरीजों को जल्द से जल्द वैक्सीनेशन कर लेना चाहिए. 

     मानसिक तनाव ज्यादा बढ़ा 

    साथ ही मास्क का उपयोग अब भी आवश्यक है. बीमारी को लेकर लापरवाही मुसीबत बन सकती है. इस वर्ष मस्तिष्क दिवस की थीम ‘मल्टीपल स्क्लेरोसिस’ रखी गई है. मस्तिष्क से पीठ की हड्डी, आंखों की पेशियों पर भी प्रभाव डालती है. इसके प्रमुख लक्षणों में चलते वक्त असंतुलित होने का अहसास होना, शरीर में कपकपी आना, कम सुनाई देना, हाथ-पैर सुन्न होना, लैंगिक समस्या, बोलने में जबान लड़खड़ाना आदि का समावेश है.

    आईएमए सेंट्रल वर्किंग कमेटी सदस्य डॉ. संजय देशपांडे मानते हैं कि कोरोना की वजह से मस्तिष्क पर ज्यादा असर हुआ है. विविध तरह की समस्याओं के घेरे जाने से लोगों में तनाव बढ़ा है. लेकिन यह स्थिति सभी के साथ ही बनी है. यही वजह है कि समय पर विशेषज्ञों की सलाह लेकर तनाव से निपटा जा सकता है.