नागपुर. कोरोना महामारी के दौरान शहर में बेड के लिए न केवल त्राहि-त्राहि मची रही, बल्कि इसका लाभ उठाते हुए निजी अस्पतालों की ओर से अधिक वसूली की है. जबकि राज्य सरकार की ओर से 80 प्रतिशत बेड के लिए शुल्क निर्धारित किए थे. इसके बावजूद अधिकांश मरीजों को 20 प्रतिशत में भर्ती किए जाने का दिखावा कर अस्पतालों की ओर से लूट मचने का आरोप वरिष्ठ पार्षद प्रफुल्ल गुड्धे ने मनपा की सभा में लगाया. उन्होंने कहा कि जिन अस्तालों को मनपा की ओर से मंजूरी प्रदान की गई. जहां मनपा की ओर से ऑडिटर्स नियुक्त किए गए. ऐसे अस्पतालों में 80 प्रतिशत बेड की श्रेणी में कितने मरीजों को भर्ती कराया गया. इसकी सूची उपलब्ध होने के बाद अस्पतालों की कारगुजारी उजागर हो सकती है. मामले पर लंबी बहस के बाद महापौर दयाशंकर तिवारी ने अगली सभा में सदन के समक्ष सूची प्रेषित करने के निर्देश प्रशासन को दिए.
मोबाइल टॉवर : तो मनपा अदालत जाएं
शुक्रवार की आम सभा में पार्षद राजकुमार साहू की ओर से मोबाइल टॉवर से निर्मित होनेवाले रेडिएशन को लेकर प्रश्न उपस्थित किया गया. जिस पर काफी देर तक चली बहस में कई पार्षदों की ओर से आपत्ति दर्ज की गई. जिसके बाद महापौर दयाशंकर तिवारी ने कहा कि टेलीकम्युनिकेशन विभाग के माध्यम से सर्वे कर कितना रेडिएशन निर्मित किया जाता है. इसकी रिपोर्ट मांगी जानी चाहिए. शहर में कितने टॉवर हो, इसकी जानकारी भी विभाग के टेक्निकल कमेटी से मंगाया जाना चाहिए. जिससे शहर में आवश्यकता से अधिक रेडिएशन निर्मित होता दिखाई दे रहा हो तो न्यायालय द्वारा दिए गए फैसले के खिलाफ मनपा ने अदालत का दरवाजा खटखटाना चाहिए.
2011 के पूर्व का अतिक्रमण होगा नियमित
शहर में मनपा की ओर से वसूली जा रही लीज को लेकर प्रश्नोत्तर काल में मुद्दा उपस्थित किया गया. जिसके जवाब में प्रशासन की ओर से बताया गया कि 7 फरवरी 2019 को राज्य सरकार की ओर से आदेश जारी किए गए हैं. जिसके अनुसार वर्ष 2011 के पूर्व तक का जो अतिक्रमण है, उन्हें पट्टा वितरित किया जाना है. अतिक्रमण को नियमानुकुल किया जाना है. इसके तहत 22 लेआउट में आनेवाली झोपड़पट्टी में लीज के पट्टे वितरित किए गए. चर्चा के दौरान पार्षद हरीश ग्वालबंशी ने कहा कि गिट्टीखदान स्थित मजिदाना कॉलोनी के पास लगभग 35 वर्ष पुरानी झोपड़पट्टी है, जो डीपी प्लान के अनुसार आरक्षण में है. तो क्या ऐसी झोपड़पट्टी में भी लीज पर पट्टे वितरित किए जा सकते हैं. जिस पर प्रशासन की ओर से बताया गया कि यदि झोपड़पट्टी वर्ष 2011 के पूर्व की हो तो उसे लीज के पट्टे दिए जा सकेंगे. चर्चा के दौरान प्रश्न उपस्थित करनेवाले विपक्षी नेता तानाजी वनवे ने कहा कि भुतेश्वरनगर और शिवाजीनगर में वर्ष 1984 में लीज पट्टे दिए गए थे. अब पुन: सर्वे किया जा रहा है.