नागपुर. वैसे देखा जाये तो महाराष्ट्र में कोरोना के मामले में सिटी की हालत औरंगाबाद, पुणे, मुंबई की तुलना में ठीक है. पिछले दिनों से टेस्टिंग बढ़ने से मरीजों की संख्या बढ़ी है. वहीं देरी से अस्पताल पहुंचने के कारण मरने वालों की संख्या भी बढ़ी है, लेकिन एक के बाद सरकारी कार्यालयों में कोरोना से संक्रमित होने के कारण चिंता बढ़ने लगी है. अब तो लोग सरकारी कार्यालयों में जाने से भी परहेज करने लगे हैं. यदि शुरुआत से ही नियमों का पालन किया जाता तो आज यह हालत नहीं होती.
सरकारी कार्यालयों में अब भीड़ बढ़ने लगी है. यहां आने वाले भी नियमों का पालन नहीं करते. केवल मुंह पर मास्क लगाकर लोग अपनी जिम्मेदारी पूरी कर रहे हैं, लेकिन इतने मात्र से ही काम नहीं होने वाला हैं. अब भी विविध संगठनों द्वारा निवेदन देने के लिए लोग आ रहे हैं. सरकार ने शुरुआत में ही कहा था की कर्मचारियों की उपस्थिति 15 फीसदी की जाए. लेकिन काम ज्यादा होने से कई सरकारी कार्यालयों में 50 फीसदी तक कर्मचारियों को बुलाया गया.
जानकारों का कहना है कोरोना का संक्रमण होने पर घबराने की बजाय उपाय करने की जरूरत है. लेकिन सावधानी भी सबसे जरूरी है. यदि सरकारी कार्यालय बंद होंगे तो फिर जनता के काम अटक जाएंगे. यही वजह है की सरकारी कार्यालयों में ज्यादा सावधानी की जरूरत है. एक कर्मचारी को कोरोना होने का मतलब है कि पूरे परिवार को क्वारन्टीन में जाना पड़ता है.