Mayo and Medical, GMCH

  • इसलिए सरकारी में बढ़ रहा मौत का आंकडा

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नागपुर. करीब महीने भर की गैप के बाद एक बार फिर कोरोना के मरीजों की संख्या बढ़ रही है. मरीजों के बढ़ने के साथ ही मरने वालों भी संख्या बढ़ रही है. यही वजह है कि प्रशासनिक स्तर पर सतर्कता और तैयारी ने जोर पकड़ लिया है. इन दिनों कोरोना के गंभीर मरीजों को निजी अस्पतालों से मेडिकल और मेयो में रिफर किया जाने लगा है. इस वजह से दोनों शासकीय मेडिकल कालेजों में बाधितों की मृत्यु का आंकडा बढ़ता जा रहा है.

विदर्भ में कोरोना के सर्वाधिक मरीज नागपुर जिले में ही मिले है. सिटी में मेडिकल, मेयो में ही सबसे अधिक मरीजों की मौत हुई है. निरीक्षण में पाया गया है कि दोनों शासकीय अस्पतालों में निजी अस्पतालों से अधिकांश मरीजों को रिफर किया गया है. जो मरीज निजी अस्पताल में इलाज कराने के बाद गंभीर हो गये, उन्हें मेडिकल, मेयो में रिफर किया जाता है. अब तक करीब 300 से अधिक अति गंभीर मरीजों की मौत दर्ज की गई है. इनमें से २२५ मरीज निजी अस्पतालों से रिफर किये गये थे.

वेंटिलेटर के साथ भेजे गये

निजी अस्पतालों में कई मरीजों को वेंटिलेटर लगने के बाद मध्यरात्रि के बाद मेडिकल में भर्ती कराया गया. इन मरीजों को मेडिकल में भेजने से पहले निजी अस्पताल की ओर से कोई भी जानकारी नहीं दी गई थी. निजी अस्पतालों से मेडिकल में रिफर किये गये करीब 174 मरीजों की मृत्यु हुई है. जबकि शासकीय अस्पतालों से रिफर किये गये 47 मरीजों की मौत हुई है. निजी अस्तालों में मृत्यु संख्या कम दिखाने के लिए ही इस तरह की रवैया अपनाया जा रहा है. वहीं कई बार निजी अस्पतालों का बिल जमा नहीं कर पाने की स्थिति में मरीजों को शासकीय अस्पतालों में भेजा जा रहा है. 

प्रशासकीय स्तर पर कोई नियंत्रण नहीं

कोरोना को लेकर अब भी लोगों के मन में डर बना है. निजी अस्पतालों में केवल वहीं मरीज भर्ती हो रहे है, जो भारी-भरकम बिल देने की क्षमता रखते हैं. लेकिन अधिकांश मरीज मेडिकल, मेयो और एम्स में जा रहे हैं. बाहर से आने वाले अनेक मरीजों को पहले निजी अस्पतालों में रिफर किया जा रहा है. लेकिन जब बिल बढ़ जाता है तो मरीज को सरकारी अस्पताल में रिफर कर दिया जाता है. यदि मरीज गंभीर हो तो उसके इलाज में समय लगता है. साथ ही दूसरी जगह शिफ्ट होने पर उपचार और पद्धति भी बदल जाती है. कई बार इस वजह से भी मरीजों की मौत हो जाती है. दरअसल इस व्यवस्था पर प्रशासन का कोई नियंत्रण नहीं है. निजी अस्पतालों पर सख्ती नहीं की जा सकती, इस वजह से उनकी भी मनमानी चल रही है.