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  • जय जवान जय किसान संगठन ने की 10 दिन कर्फ्यू लाकडाउन की मांग

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नागपुर. सिटी में कोरोना के संक्रमण को रोकने की पूरी व्यवस्था पूरी तरह चरमरा चुकी है. हालात यह हैं कि रोज ही 2000 के करीब पाजिटिव मिल रहे और 50 से ऊपर की मौत हो रही है. सिटी में 60-65 अस्पतालों की व्यवस्था का दावा करने के बाद भी गंभीर मरीजों को भी बेड नहीं मिल रहा है. हालत यह है कि कई मरीज एम्बुंलेंस में ही अस्पताल की खोज में मरने लगे हैं.

जय जवान जय किसान संगठन के अध्यक्ष व राकां नेता प्रशांत पवार ने मांग की है कि अगर अभी भी व्यवस्था नहीं सुधारी गई तो जल्द ही ऐसे हालात बन सकते हैं कि कोरोना के मरीज अस्पताल के द्वारों पर उपचार नहीं मिलने से मरने लगें. उन्होंने मनपा प्रशासन, जिला प्रशासन पर बुरी तरह असफल होने का आरोप लगाते हुए मांग की है कि अगर हालात पर नियंत्रण करना है तो अब 10-15 दिनों का कर्फ्यू सहित लाकडाउन तुरंत लगाया जाए अन्यता स्थिति काबू से बाहर हो जाएगी.

प्रशासन हुआ कोरोनाग्रस्त
पवार ने कहा कि मनपा के नये आयुक्त राधाकृष्णन बी ने सभी बैठकें व नागरिकों से भेंट को रद्द कर दिया है. मनपा के मुख्य स्वास्थ अधिकारी डा. बहिरवार ने हाई रिस्क पाजिटिव होने से सभी मुलाकातें बंद कर दी है. महापौर संदीप जोशी भी होम क्वारंटाइन हैं. यही हाल जिलाधिकारी कार्यालय का है. खुद जिलाधिकारी रविन्द्र ठाकरे पाजिटिव होने से क्वारंटाइन हो गए हैं. विभागीय आयुक्त भी क्वारंटाइन हैं. मतलब पूरा प्रशासन कोरोनाग्रस्त हो गया है और सिटी के नागरिकों को उनके हाल पर छोड़ दिया गया है. पूरा प्रशासन पस्त हो गया है और कुछ दिनों तक ऐसा ही चला तो सिटी ही नहीं पूरे जिले में हाहाकार मचने वाला है.

मनपा के सत्ताधारी जिम्मेदार
सिटी को इस हाल तक लाने के लिए महापौर व सत्ताधारियों को जिम्मेदार होने का आरोप लगाते हुए पवार ने कहा कि जब तात्कालीन मनपा आयुक्त मुंढे 14 दिनों का कर्फ्यू के साथ लाकडाउन लगाने का निर्णय लेने वाले थे तब महापौर व कुछ वरिष्ठ सत्ताधारियों ने उनका विरोध किया. उन्हें मालूम था कि मुंढे ऐसा करेंगे, इसलिए उन पर दबाव बनाने के लिए महापौर ने सभी विधायकों के साथ बैठक ली और इस तरह दबाव बनाकर मुंढे के लाकडाउन लगाने से रोक दिया गया. पवार ने कहा कि अगर उस समय हालातों को देखते हुए और सिटी के नागरिकों की जान पर राजनीति नहीं करते हुए लाकडाउन लगाने दिया होता तो आज इतने बड़े पैमाने पर लोग नहीं मर रहे होते. सिटी की बदहाली के लिए वे ही जिम्मेदार हैं. 

कमेटी के निर्देशों का क्या हुआ, सरकार तुरंत दे दखल
नागपुर के हालात को देखते हुए सरकार ने तुरंत दखल देना जरूरी हो गया है. मुंबई की तर्ज पर कोविड मरीजों के बचाव के लिए वाक इन पेशेंट व्यवस्था तैयार की जानी चाहिए. जिस मरीज को तकलीभ हो रही है उसे तत्काल करीब के टेस्टिंग सेंटर में ले जाने और फिर उपचार की व्यवस्था होनी चाहिए. डर के कारण जिनके आक्सीजन लेवल कम हो रहे उन्हें टेस्टिंग सेंटर में ही बेड पर आराम होने तक रखा जाना चाहिए. यह गाइडलाइन उच्च स्तरीय कमेटी की है.

मुंबई से जो कमेटी आई थी उसने डे केयर, ओपीडी, पेशेंड स्टैबलाइजेशन की त्वरित व्यवस्था करने का निर्देश दिया था. मनपा व जिला प्रशासन को प्रेस परिषद लेकर यह जनता को बताना चाहिए कि कमेटी के निर्देश के बाद क्या ताबड़तोड़ व्यवस्था की गई. सामाजिक संगठनों की मदद से भी हालातों से निपटने की योजना पर काम होना चाहिए. ऐसा नहीं होने पर सड़क पर उतर कर नागरिकों के हित में आंदोलन की चेतावनी उन्होंने दी.