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  • 5-6 महीने से देरी से इंजीनियरिंग प्राध्यापकों को वेतन

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नागपुर. छात्रों से वसूली जाने वाली फीस में टयूशन फीस का हिस्सा कालेजों को मिलता है. इसी रकम से निजी इंजीनियरिंग सहित अन्य कालेजों में टिचिंग और नॉन टिचिंग स्टाफ की सैलेरी सहित अन्य व्यवस्था चलाई जाती है. लेकिन सरकार द्वारा छात्रवृति की रकम जमा करने में की जा रही देरी से प्राध्यापकों के वेतन अटक गये. इतना ही नहीं छात्रों को मिलने वाली मेंटनेंस स्कॉलरशिप भी अकाउंट में जमा नहीं हुई है. ओबीसी मंत्रालय की लेटलतिफी के कारण राज्यभर के अनेक इंजीनियरिंग कालेजों की हालत पतली हो गई है.

छात्रवृति की निधि समय पर मिलने से कालेजों की व्यवस्था योग्य तरीके से चलती है. लेकिन इस बार कोरोना संकट की वजह से सब कुछ देरी से चल रहा है. इंजीनियरिंग कालेजों को 2019-20 सत्र की छात्रवृति की दूसरी किश्त अब तक नहीं मिली है. दिवाली से पहले अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के छात्रों की छात्रवृति जारी की गई, लेकिन अन्य वर्ग के आरक्षित छात्रों की छात्रवृति अटक गई है. 

ओबीसी मंत्रालय की लेटलतिफी से बढ़ी दिक्कतें

सरकार द्वारा छात्रवृति की निधि डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) में जमा की जाती है. ट्यूशन फीस की रकम कालेजों के अकाउंट और मेंटनेंस स्कॉलरशिप की रकम छात्रों के अकाउंट में जमा होती है. बताया जाता है कि ओबीसी मंत्रालय की ओर से अब तक वित्त विभाग को आदेश जारी नहीं किये गये है. यही वजह है कि डीबीटी में रकम जमा होने के बाद भी वित्त विभाग की ओर से हरी झंडी नहीं मिल रही है. दिवाली से डीबीटी में निधि जमा की गई थी. लेकिन जब तक ओबीसी मंत्रालय द्वारा आदेश जारी नहीं किया जाएगा तब तक डीबीटी के माध्यम से कालेजों में रकम ट्रांसफर नहीं की जाएगी.

छात्रवृति की रकम अटकने से कालेजों की मुश्किलें बढ गई है. आन लाइन क्लासेस की वजह से अनेक इंजीनियरिंग कालेजों ने अपने प्राध्यापकों सहित स्टाफ की सैलेरी में कटौती कर दी है. पहले से ही कम वेतन और उस पर भी 4-5 महीने का इंतजार भारी पड़ रहा है. दिवाली में उम्मीद थी कि सैलेरी मिलेगी, लेकिन अनेक कालेजों के प्राध्यापकों को निराशा ही हाथ लगी. 

इस सत्र का अब तक पोर्टल नहीं खुला

छात्रवृति निरंतर प्रक्रिया है. हर वर्ष जैसे-जैसे छात्र अगली कक्षा में जाता है उसे छात्रवृति के लिए आवेदन करना पड़ता है. लेकिन सरकार ने अब तक 2020-21 के डीबीटी पोर्टल को खोला ही नहीं है. जबकि हर वर्ष रिनिवल स्कॉलरशिप के लिए जून-जुलाई में पोर्टल खोल दिया जाता था. क्योंकि आवेदन करने से लेकर मंजूरी तक की प्रक्रिया में 3-4 महीने लग जाते हैं. अब तक पोर्टल ही नहीं खोला गया तो है तो फिर इस सत्र की छात्रवृति के लिए वर्षभर से भी ज्यादा का इंतजार करने की नौबत आ सकती है. मेंटनेंस स्कॉलरिश के तहत छात्रों को स्टेशनरी, किताने सहित अन्य खर्च के लिए छात्रवृति दी जाती है. समय पर मिले तो इसका उपयोग भी होगा, लेकिन देरी की वजह से छात्र भी परेशान हो गये हैं.