Cyber Crime

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नागपुर. सिटी की एक्सेलॉन साफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड के संचालक विनोद कुमार तांबी से 8 करोड़ रुपये की साइबर ब्लैकमेलिंग और धोखाधड़ी के मामले में कोर्ट ने शुक्रवार को मुख्य आरोपी पुणे निवासी शत्रुघ्न सिंह टंगराल की जमानत याचिका खारिज कर दी.

ज्ञात हो कि शत्रुघ्न और उनकी पत्नी मंजूषा व राहुल झा मुख्य आरोपी है. इनके अलावा टंगराल के परिवार के कुछ सदस्यों और उनकी डमी कम्पनी बिजक्लाउड के कुछ कर्मचारियों को भी आरोपी बनाया गया है. हालांकि गिरफ्तार उपरोक्त तीनों ही आरोपियों की गई. शत्रुघ्न और मंजूषा पर आरोप है कि उन्होंन तांबी की कम्पनी में नौकरी करते हुए सोर्स कोर्ड और अन्य कम्पनियों के डाटा चुराकर उन्हें ब्लैकमेल किया.

सबूतों से छेड़छाड़ कर सकता है आरोपी
सुनवाई के दौरान बचाव पक्ष ने कहा कि शत्रुघ्न पर दायर एफआईआर ही गलत है. वह बिजक्लाउड कम्पनी में पार्टनर था और शिकायककर्ता तांबी की मर्जी पर ही कर्मचारियों को आउटसोर्स किया गया था. बिजक्लाउड कम्पनी द्वारा डाटा को लेकर तांबी और शत्रुघ्न के बीच व्यवहार बिगडा. इसी वजह से शत्रुघ्न पूरे तौर पर बिजक्लाउड से जुड़ गया. एफआईआर में लगाये गये आरोप दुर्भावना से ग्रसित नजर आ रहे हैं. वहीं, कोरोना संक्रमण को देखते हुए आरोपी को तत्काल प्रभाव से जमानत मिलनी चाहिए.

अभियोजन पक्ष ने किया जोरदार विरोध
दूसरी तरफ, अभियोजन पक्ष ने जमानत को लेकर जोरदार विरोध किया. अभियोजन पक्ष ने कोर्ट से कहा कि आरोपी शत्रुघ्न बेहद मंझा हुआ साइबर एक्सपर्ट है. ऐसे में जमानत मिलने पर इस बात की पूरी संभावना है कि वह साइबर और तकनीकी सबूतों से छेड़छाड़ करें. वहीं, बचावपक्ष ने कहा कि शत्रुघ्न एक्सेलॉन साफ्टवेयर प्राइवेट लिमिटेड का स्टार एम्प्लाई था. तांबी की कम्पनी ने 2015 में बिजक्लाउड को काम दिया था. ऐसे में इतने वर्षों तक वह चुप क्यों रहे.

दूसरी तरफ, शिकायतकर्ता की ओर से सारे बिल भी क्लीयर है. ऐसे में एफआईआर में दर्ज आरोप कहीं नहीं बनता. बावजूद इसके शत्रुघ्न को प्रताडित किया जा रहा है. वहीं, कोई भी प्रत्यक्ष सबूत नहीं है. अभियोजन पक्ष ने इस दलील का विरोध करते हुए आरोपियों द्वारा तांबी की कम्पनी से चोरी किये गये डाटा का गलत इस्तेमाल किया है. जमानत के दौरान ऐसी गड़बडी की संभावना है. दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने शत्रुघ्न को जमानत देने से इंकार कर दिया.