CORONA
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    नागपुर. कोरोना का प्रकोप शहर में काफी बढ़ गया है. संक्रमित मरीजों की संख्या भी रोजाना बढ़ती जा रही है. अब तो आलम यह है कि मरीजों को अस्पताल में बेड नहीं मिल रहे हैं. उन्हें घंटों नहीं, बल्कि बेड पाने के लिए 2-3 दिनों तक इंतजार करना पड़ रहा है. उस पर भी अब एक और परेशानी मरीजों के सामने है. आरटी-पीसीआर टेस्ट की रिपोर्ट जो पहले 24 घंटे में मिलती थी, अब वह 3 से 5 दिनों में मिल रही है. रिपोर्ट देरी से आने से इलाज भी देरी से शुरू हो पा रहा है जिससे कई मरीजों को अपनी जान भी गंवानी पड़ रही है.

    निजी लैब हाउसफुल

    कोरोना संक्रमित या लक्षण वाले लोग सरकारी अस्पतालों में जांच के लिए घंटों कतार में खड़े रहते हैं. ऐसे लोग अब निजी लैब की ओर रुख कर रहे हैं. लेकिन यहां भी हालत काफी खराब है. आज शहर के किसी भी निजी लैब में यदि कोई आरटी-पीसीआर की जांच कराने जाता है तो उसे पहले ही बताया जाता है कि रिपोर्ट 3 या 4 दिन में दी जाएगी. इससे पहले रिपोर्ट देना मुमकिन नहीं है. लोग पैसे भी अधिक देने को तैयार हैं. बावजूद उन्हें रिपोर्ट 3 दिन से पहले तो नहीं मिल रही.

    केसेस बढ़ने से निर्माण हुई स्थिति

    रैपिड एंटीजन टेस्ट निगेटिव आने के बाद आरटी-पीसीआर टेस्ट करने की सलाह डॉक्टरों द्वारा दी जा रही है. ऐसे में लोग पहले ही आरटी-पीसीआर की टेस्ट करा रहे हैं. हालांकि एंटीजन की रिपोर्ट जल्दी मिल रही है. लेकन प्रशासन के निर्देशानुसार एंटीजन की रिपोर्ट निगेटिव आने पर भी यदि मरीज में लक्षण दिखाई दे रहे हैं तो ऐसे में आरटी-पीसीआर करना जरूरी है. लेकिन इसकी रिपोर्ट में काफी विलंब होने से लोग परेशान हो रहे हैं. रिपोर्ट की देरी की वजह से मरीजों का सही समय पर इलाज शुरू नहीं हो पा रहा है. ऐसे में हालत बिगड़ने के कारण कई मरीजों ने अपनी जान भी गंवाई है. निजी लैब वाले बता रहे हैं कि केसेस बढ़ने से उनके पास कई सैंपल पेंडिंग पड़े हैं. ऐसे में रिपोर्ट जल्दी दे पाना संभव नहीं हो रहा है.

    प्रशासन को करनी होगी व्यवस्था

    मरीजों को समय पर उनकी रिपोर्ट मिले और समय पर उनका इलाज शुरू हो सके इसके लिए प्रशासन ने कोई ठोस उपाययोजना करनी चाहिए. आज शहर के हालात काफी बिगड़ चुके हैं. मरीजों को अस्पताल में बेड नहीं मिल रहे हैं. कम से कम मरीजों की रिपोर्ट सही समय पर मिल सके इसके प्रशासन से प्रयास करने की मांग की जा रही है.