Court approves sacking of 12 Manpa employees, High Court validates Munde's decision
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    नागपुर. सत्ता बदलते ही प्रभागों में दी जा रही विकास निधि की पूरी प्रक्रिया बदले जाने के खिलाफ आपत्ति जताते हुए संतोष मिटकरी की ओर से हाई कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई. याचिका पर सुनवाई के बाद न्यायाधीश सुनील शुक्रे और न्यायाधीश अनिल किल्लोर ने इसी तरह की पहले दायर याचिका का हवाला देकर दोनों याचिकाओं को एक साथ क्लब कर दिया. साथ ही अदालत ने मंजूर विकास कार्यों पर यथास्थिति बनाए रखने के आदेश भी जारी किए. याचिकाकर्ता की ओर से अधि. फिरदौस मिर्जा ने पैरवी की. अदालत ने याचिका की स्वीकृति पर ही अंतिम सुनवाई करने के संकेत देते हुए राज्य सरकार को नोटिस जारी किया. 2 सप्ताह में सरकार को हलफनामा दायर करने के आदेश भी दिए. 

    बदल दिए 5 करोड़ के काम

    सुनवाई के दौरान अधि. मिर्जा ने कहा कि नगर परिषद खामगांव में 5 करोड़ के कामों को मंजूरी दी गई. सरकार बदलते ही इन कामों को पूरी तरह बदल दिया गया. चूंकि नगर परिषद में राज्य सरकार के विपरीत सत्ता है. अत: वहां विकास कामों को ब्रेक लगाने का काम किया जा रहा है. वास्तविक रूप में पूरे शहर को ही विकास के लिए निधि मिलना चाहिए था. किंतु केवल चुनिंदा प्रभागों को ही विकास निधि दी जा रही है. इसी मसले को लेकर नगर परिषद की अध्यक्ष डवरे, उपाध्यक्ष और सदस्यों ने याचिका दायर की थी. जिस पर भी सुनवाई के बाद अदालत ने स्टेट-को के आदेश जारी किए थे. अत: अब दोनों याचिकाओं पर एकसाथ सुनवाई करने के संकेत दिए. हालांकि डवरे की याचिका पर हाईकोर्ट की ओर से 16 फरवरी 2021 और 2 मार्च 2021 को भी याचिका पर सुनवाई की थी लेकिन किन्हीं कारणों से नोटिस जारी नहीं किया जा सका था. बाद में नोटिस जारी किया गया.

    जनता के पैसों का पारदर्शी उपयोग

    डवरे की याचिका पर सुनवाई के दौरान अदालत ने आदेश में कहा था कि नगर परिषद के अध्यक्ष से लेकर सदस्य तक सभी निष्पक्ष विकास और जनता के पैसों का पारदर्शी उपयोग चाहते हैं. चूंकि सम्पूर्ण याचिका में ही इसी की मांग की गई है. भले ही याचिकाकर्ता नगर परिषद की पदस्थ हैं. लेकिन हेतु को देखते हुए उन्हें याचिका का अधिकार भी है.

    सुनवाई के दौरान अदालत को बताया गया कि सरकार बदलते ही नगर परिषद प्रशासन द्वारा 2 फरवरी 2021 को एक आदेश जारी किया गया जिससे जिन विकास कार्यों को मंजूरी दी गई थी. उसे पूरी तरह बदल दिया गया. इस तरह प्रशासन की कार्यप्रणाली उचित नहीं है. पहले मंजूर कामों को लेकर जांच की जानी चाहिए थी जिसके बाद उसे बदला जाना चाहिए था. किंतु इस तरह की कोई कार्यप्रणाली नहीं अपनाई गई है.