गोलछा मार्ग पर चलना मुश्किल, रोज लगा रहता है जाम

    Loading

    नागपुर: यूं तो शहर के ज्यादातर व्यापारिक क्षेत्रों में भीड़भाड़ और ट्रैफिक जाम आम समस्या है. फिर चाहे बात इतवारी की हो, सीताबर्डी, धरमपेठ या सदर की. सदर में गोलछा मार्ग प्रमुख व्यापारिक क्षेत्र माना जाता है. वैसे तो यहां सभी दूकानें हैं लेकिन शहर में स्कूल, कॉलेज और अन्य शैक्षणिक पाठ्यपुस्तकों का यह प्रमुख केंद्र है. जो किताब शहर में कहीं नहीं मिलेगी वह यहां मिल जाएगी. यही वजह है अक्सर इस मार्ग पर भीड़भाड़ और जाम की स्थिति बनी रहती है. मार्ग पर रेडीमेड गारमेंट्स, बर्तन, प्लास्टिक सामान, क्राकरी, लेडीज आइटम, स्कूल यूनिफार्म की भी दूकानें होने से लोगों की आवाजही बनी रहती है.

    वहीं मार्ग भी काफी संकरा है. एक दूसरे से लगकर दूकानें हैं. पैर रखने की जगह नहीं है तो वाहनों की पार्किंग की उम्मीद करना भी बेमानी होगा. फोरव्हीलर को तो अंजुमन कॉलेज के पास पार्क करने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचता. टूव्हीलर वाले मार्ग से सटी गलियों में वाहन लगाते हैं. मार्केट के अलावा इससे लगकर कई घनी बस्तियां भी हैं. इस वजह से भी दिनभर यहां वाहनों और आने जाने वालों की आवाजही बनी रहती है. इसके अलावा मार्ग से सटे गांधी चौक में किराना और दूसरी दूकानें भी हैं.

    नागरिकों का कहना है कि यह शहर का पुराना और घनी आबादी वाला इलाका है. मकान भी एक दूसरे से सटकर बने हैं. खाली जगह ही नहीं बची तो पार्किंग की जगह उपलब्ध कराने का सवाल ही नहीं उठता. यहां के निवासियों के घरों में वाहन रखने की जगह नहीं तो ग्राहकों को कैसे मिलेगी. स्थानीय निवासी भी टूव्हीलर घर के अंदर रखते हैं. रात में जब बाजार बंद होता है तब खाली जगह पर इन्हें पार्क किया जाता है.

    बाजार में नहीं हैं सुविधाएं

    इतने बड़े बाजार में शहर के विभिन्न हिस्सों से लोग खरीदी के लिए आते है लेकिन उस हिसाब से सुविधाएं नजर नहीं आतीं. बाजार में शौचालय न होने से ग्राहकों, दूकानदारों और वहां के कर्मचारियों को मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. सुलभ शौचालय राजभवन के पास है. सबसे बड़ी समस्या पार्किंग की है. जगह न होने से दूकानों के सामने ही वाहनों को पार्क करना पड़ता है. एक तो मार्ग संकरा, दूसरे वाहनों के पार्क हो जाने से यह गली में तब्दील हो जाता है. एक फोरव्हीलर निकला नहीं कि रास्ता जाम. पूरा दिन इस तरह का जाम कई बार लगता है. दूकानदारों का कहना है कि उन्हें तो इसकी आदत हो गई है.