Entry to students with permission of parents
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  • कोरोना की वजह से स्टाफ और स्टूडेंट्स नहीं आ पा रहे स्कूल

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नागपुर. कोरोना संक्रमण के कारण स्कूलों में बोर्ड की परीक्षाएं रद्द कर दी गई हैं लेकिन छात्रों का रिजल्ट इंटरनल असेसमेंट के आधार पर बनाया जाएगा. अब इस प्रकिया को पूरी करने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. कोरोना के कारण जहां अधिकांश टीचर्स स्कूल पहुंचने में असमर्थ हैं तो वहीं दूसरी ओर कुछ स्कूलों में छात्रों की फीस को लेकर मामला अटका दिया गया है. रिजल्ट बनाने में आ रहीं दिक्कतों के कारण ही 11वीं की कक्षाओं में प्रवेश प्रक्रिया इस बार लेट होने की आशंका है. कोरोना संक्रमण के कारण इस साल का सेशन भी लगभग पिछले सेशन की तरह अव्यवस्थाओं की भेंट चढ़ जाएगा. बच्चों के भविष्य को लेकर पालकों के मन में काफी चिंता की स्थिति बनी हुई है.

फीस के लिए बढ़ा दबाव

स्कूल द्वारा 10वीं के छात्रों का मूल्यांकन उनके व्यवहार और सालभर की गतिविधियों के आधार पर किया जाएगा. लेकिन कई स्टूडेंट्स ऐसे हैं जिनकी कई महीनों की फीस बकाया है. ऐसे में स्कूल पैरेंट्स से फीस जमा करने का दबाव बना रहे हैं. इस स्थिति में भी छात्रों के मूल्यांकन का काम धीमा हो सकता है क्योंकि लॉकडाउन के कारण कई पालकों के पास इस वक्त पैसे की कमी है जिसके कारण वे परेशान हो रहे हैं.

संक्रमण का खौफ भी

वहीं स्कूलों में छात्रों का रिजल्ट तैयार करने वाले टीचर्स भी स्कूल पहुंचने में काफी असहज महसूस कर रहे हैं. कई टीचर्स की फैमिली में कोरोना मरीज हैं. खुद टीचर भी कोरोना संक्रमण की चपेट में हैं. ऐसे में उनका स्कूल आना संभव नहीं है जिससे रिजल्ट बनाने की इस प्रक्रिया में देरी हो रही है. पूरा शेड्यूल लेट होने की पूरी संभावना जताई जा रही है.

कई छात्रों से संपर्क भी टूटा

वहीं स्कूलों के पास छात्रों से संपर्क करना भी इस वक्त काफी मुश्किल हो गया है. सभी छात्रों को फोन कर इसकी जानकारी दी जा रही है लेकिन कई के मोबाइल नंबर बंद हैं या अन्य तकनीकी कारणों से उनसे संपर्क भी नहीं हो पा रहा है. इससे स्कूल के टीचर्स को छात्रों से संपर्क करने में समस्याओं का सामना करना पड़ रहा. रिजल्ट तैयार करने में छात्रों से भी टीचर्स जरूर विभिन्न मुद्दों पर चर्चा कर सकते हैं.