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    • कई कॉलेजों की मनमर्जी से प्राध्यापक, स्टाफ नाराज  

    नागपुर. कोरोना की वजह से पिछले एक वर्ष से सिटी सहित जिले के इंजीनियरिंग कॉलेजों में क्लासेस बंद हैं. प्राध्यापकों द्वारा ऑनलाइन क्लासेस ली जा रही हैं. हालांकि पिछले वर्ष दिसंबर तक सरकार द्वारा छात्रवृत्ति जारी नहीं किये जाने से वेतन संबंधी समस्या निर्माण हुई थी, लेकिन जब छात्रवृत्ति जारी की गई तो कई कॉलेजों ने वेतन देना शुरू कर दिया. जिन कॉलेजों द्वारा आधी सैलरी दी जा रही थी अब वे पूरा वेतन देने लगे हैं. इसके बावजूद कई कॉलेजों द्वारा प्राध्यापकों सहित स्टाफ को परेशान  भी किया जा रहा है.  

    पिछले वर्ष कोरोना काल के दौरान कई इंजीनियरिंग कॉलेजों ने प्राध्यापकों के वेतन में कटौती की. इसी दौरान सरकार की ओर से छात्रवृत्ति भी जारी नहीं की गई थी, लेकिन कॉलेजों के संगठन द्वारा सरकार से पत्र-व्यवहार के बाद मामला सुलझ गया. छात्रवृत्ति जारी होने के बाद कई कॉलेजों ने नियमित रूप से वेतन देने की शुरुआत की. लेकिन कई कॉलेजों ने वेतन के लिए प्राध्यापकों सहित स्टाफ को खूब तरसाया. परिणामस्वरूप कई जगह प्राध्यापकों ने जॉब छोड़ दी. निजी कॉलेज होने से इनकी शिकायत ही नहीं सुनी जाती. यही वजह है कि अब प्राध्यापकों में रोष है.

    – एजेंटों को भी नहीं दिया कमीशन 

    इंजीनियरिंग के प्रवेश के लिए एजेंट की मदद ली जाती है. कोरोना संकट के बावजूद इस बार एजेंट्स ने कई कॉलेजों को अधिकाधिक छात्र दिलाने में मदद की. इसके बदले कॉलेजों द्वारा एजेंट को कमीशन दिया जाता है लेकिन कोरोना काल की वजह से आर्थिक हालत खराब होने की बात कर उन्हें कमीशन से वंचित रखा गया. अब कई कॉलेजों में एजेंट चक्कर काट रहे हैं. इतना ही नहीं, जिन प्राध्यापकों के कहने पर एजेंट ने काम किया था, अब वे उसी प्राध्यापक को कमीशन के लिए घेर रहे हैं. 

    -नौकरी के डर से आवाज नहीं उठाते 

    निजी इंजीनियरिंग कॉलेजों की व्यवस्था छात्रों की छात्रवृत्ति से चलती है. यह छात्रवृत्ति सरकार द्वारा दी जाती है. इससे प्राध्यापकों, स्टाफ का वेतन सहित अन्य व्यवस्था चलाई जाती है. लेकिन इस बार कोरोना की वजह से छात्रवृत्ति मिलने में देरी हुई. इसका फायदा उठाकर कॉलेजों ने वेतन में कटौती कर दी, जबकि कई कॉलेजों ने तो 6-8 महीने तक वेतन ही नहीं दिया. नौकरी जाने के डर की वजह से प्राध्यापकों द्वारा इसके खिलाफ आवाज नहीं उठाई जाती. यही वजह है कि फिलहाल इंजीनियरिंग शिक्षा क्षेत्र में विचित्र माहौल बनता जा रहा है. 

    – विवि, DTE से की शिकायत 

    एक इंजीनियरिंग कॉलेज के प्राध्यापकों सहित स्टाफ को पिछले 13 महीने से वेतन नहीं दिया गया है. इस संबंध में प्राध्यापकों ने सोमवार को इसकी शिकायत डीटीई के ज्वाइंट डायरेक्टर, यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर से की भी है. उन्होंने शिकायत में बताया कि कॉलेज में प्रिंसिपल नहीं हैं. दूसरे संस्थान के प्रिंसिपल से इस कॉलेज को चलाया जा रहा है. करीब डेढ़ साल से सैलरी नहीं दी गई है. बात करने पर काम से निकालने की धमकी दी जा रही है. मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है. स्टाफ का कहना है कि अगर सैलरी नहीं मिलती है तो वे सब सामूहिक आत्महत्या कर लेंगे.