covid-19: Classes held in a school in Latur, Maharashtra, case registered against management

  • फीस भरने, किताबें खरीदने के लिए भेजे जा रहे मैसेज

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नागपुर. शिक्षा विभाग ने स्कूलों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि लॉकडाउन की वजह से आर्थिक तंगी से जूझ रहे पालकों को फिलहाल फीस भरने में राहत दे. साथ ही स्कूलों में किताबें, स्टेशनरी की बिक्री पर भी प्रतिबंध लगाया गया है. स्कूलों द्वारा यदि आदेश का पालन नहीं किया गया तो संक्रमण रोग अधिनियम 1897 के खंड 2, 3 व 4 का उल्लंघन मानते हुए कठोर कार्रवाई के भी आदेश दिए गए हैं, लेकिन नामी स्कूल नियमों को नहीं मानते, यही वजह है कि इन दिनों अनेक पालकों को टर्म फीस भरने और किताबें खरीदने के लिए स्कूल में आने के मैसेज भेजे जा रहे हैं. इस संबंध में कई पालकों ने शिकायत की है.

अधिकांश नामी स्कूलों में पालकों को स्टालमेंट पर फीस भरने की सुविधा दी जाती है. अंतिम स्टालमेंट दिसंबर से जनवरी के बीच होता है. यानी अनेक नामी स्कूलों में पालकों द्वारा फीस भर दी गई है. कुछ ही स्कूल होंगे जहां पालकों द्वारा एक या दो स्टालमेंट नहीं भरे होंगे. अब स्कूलों द्वारा फोन पर संपर्क कर जल्द से जल्द शुल्क भरने के लिए मैसेज भेजे जा रहे हैं. वहीं किताबों सहित अन्य स्टेशनरी के लिए रकम लेकर आने की बात कही जा रही है, जबकि शिक्षा विभाग ने पालकों को स्कूल नहीं बुलाने के निर्देश दिए हैं. सभी मुख्याध्यापकों को पत्र भेजने के बाद भी नियमों की अनदेखी कर रहे हैं.

बस बंद, मेंटेंनेंस बंद, वेतन भी बंद फिर खर्च कैसा
पालकों ने बताया कि करीब 18 मार्च से स्कूल बंद हैं. स्कूल प्रबंधन बस या वैन की फीस एक साथ या स्टालमेंट के रूप में वसूलता है. अब ढाई महीने से स्कूल बंद हैं. इसका मतलब साफ है कि बस का खर्च बच रहा है. न ही मेंटेंनेंस लग रहा है. जबकि पालकों से फीस तो वसूली जा चुकी है. इसके बावजूद अनेक स्कूलों ने चालक व वाहन का वेतन बंद कर दिया है. कुछ जगह आधा वेतन दिया जा रहा है. स्कूल बंद होने से साफ-सफाई करने वाले भी नहीं आ रहे हैं. उनका भी वेतन बच रहा है. वहीं बिजली सहित अन्य खर्च भी बच ही रहे हैं. इतना ही नहीं अनेक स्कूलों ने शिक्षकों को या तो कुछ ही वेतन दिया है या कई जगह वेतन ही नहीं दिया है. यही स्थिति कर्मचारियों के साथ भी बनी हुई है. स्कूलों का कहना है कि छात्रों की फीस पूरी नहीं मिलने की वजह से उन्हें वेतन नहीं दे सकते. लेकिन जहां पालकों द्वारा वर्षभर का स्टालमेंट अदा कर दिया गया है उन्हें तो वेतन काटने के लिए लॉकडाउन का बहाना मिल गया है.

फीस कम करना चाहिए
कुछ स्कूलों ने करीब महीनेभर तक आनलाइन क्लासेस चलाईं. इसके लिए पालकों को हर दिन 2जीबी का डाटा लगा. यानी यहां भी पालकों की ही जेब ढीली हुई है. स्कूलों द्वारा परीक्षा सहित परीक्षा में दिए जाने वाली स्टेशनरी की भी फीस ली जाती है. लेकिन अब जब परीक्षा ही नहीं हुई तो उक्त फीस भी बच गई होगी. पालकों की मांग है कि यदि स्कूलों का खर्च कम हुआ हो तो फिर इस सत्र में फीस कम की जानी चाहिए. शिक्षा विभाग स्कूलों के खर्च के बारे में जानकारी हासिल करे. यदि खर्च ज्यादा हुआ तो पालकों से वसूली की जाए, अन्यथा फीस में कमी की जानी चाहिए.