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नागपुर. देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी संपूर्ण देशवासियों से कोरोना के संक्रमण के प्रसार को रोकने, खुद को बचाने, अपने परिवार को बचाने और समाज को बचाने के लिए लगातार सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क, बार-बार साबुन से हाथ धोने की अपील कर रहे हैं. वे देशवासियों से इस महामारी को मात देने के लिए सहयोग की लगातार अपील करते रहे हैं वहीं दूसरी ओर सिटी में उन्हीं की पार्टी के विधायक, नेता, मनपा के पदाधिकारी, नगरसेवक, कार्यकर्ता विविध आंदोलनों के नाम पर उनकी ही अपील की धज्जियां उड़ाते हुए उनका मजाक बना रहे हैं.

एक दिन पूर्व बिजली बिल की होली जलाओ आंदोलन सिटी के 32 सब स्टेशनों में किया गया जिसमें सभी जगहों पर सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां बुरी तरह उड़ाई गई. अगर प्रधानमंत्री के अपील की सुनवाई उनकी ही पार्टी के लोगों में नहीं हो रही तो फिर ये नेता आम जनता को किस मुंह से नियमों का पालन करने का ज्ञान पिला सकते हैं. इसी तरह बीते दिनों कांग्रेसियों ने भी राजस्थान में चल रहे सत्ता संघर्ष के खिलाफ राजभवन घेरने के लिए किये गए आंदोलन में सोशल डिस्टेंसिंग की ताक पर रख दिया था. उस आंदोलन में तो 2-2 जिम्मेदार मंत्री तक शामिल हुए थे. अब भाजपायी उसी राह पर चल रहे हैं.

धार्मिक आयोजन पर प्रतिबंध
एक ओर शासन-प्रशासन आम नागरिकों के धार्मिक आयोजनों पर तो कड़ा प्रतिबंध लगा रही है. राखी और बकरी ईद पर लोगों से भीड़ नहीं जुटाने की अपील की गई. सार्वजनिक गणेशोत्सव में भी सार्वजनिक मंडलों को अनुमति नहीं दी जा रही है. लोगों से घरों पर अपने उत्सव मनाने को कहा जा रहा है. इतना ही नहीं शादी-ब्याह पर भी केवल 50 लोग की उपस्थिति का नियम बना दिया गया है. किसी के घर मौत हो जाए तो श्मशान घाट पर भी मात्र 20 लोगों को ही जाने की छूट दी गई है. वहीं नेता अपनी चमको नेतागीरी में सैकड़ों के संख्या में भीड़ जमा कर सारे नियमों को धज्जियां उड़ाने में लगे हुए हैं. अब तो शहर के नागरिकों को भय लगने लगा है कि कहीं यही लोग कोरोना के सामुदायिक संक्रमण का कारण ना बन जाएं.

प्रशासन का दोगलापन
मनपा प्रशासन की टीम तो पूरे शहर में, बाजारों में घूम-घूम कर कोरोना के निर्धारित नियमों का पालन नहीं करने वाले व्यापारियों, नागरिकों पर आन द स्पाट जुर्माना की कार्रवाई कर रही है. खुद मनपा आयुक्त बाजार क्षेत्रों में पहुंचकर ऐसी कार्रवाई कर रहे हैं. व्यापारियों पर तो हजारों रुपये के जुर्माना ठोके जा रहे हैं लेकिन मनपा के सत्तासीन पार्टी के नेता, राज्य की सरकार में सत्तासीन पार्टी के नेताओं आदि के आंदोलनों में जुटाई जा रही भीड़, सोशल डिस्टेंसिंग की उड़ाई जा रही धज्जियों के खिलाफ किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है. इससे तो प्रशासन का दोगलापन ही उजागर हो रहा है. यह भी साफ हो गया है कि सत्ता में बैठे ताकतवर लोगों के खिलाफ अधिकारी कार्रवाई करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं. 

नेताओं पर स्पाट कार्रवाई क्यों नहीं : आर्य 
राकां के प्रदेश उपाध्यक्ष ने तो कहा है कि प्रशासन क्या केवल व्यापारियों के लिए ही नियम बना रहा है. व्यापारियों पर ही मनपा प्रशासन के अधिकारी कोरोना नियमों का पालन नहीं करने पर स्पाट दंडात्मक कार्रवाई कर रहे हैं. उन्होंने सवाल उठाया है कि ऐसे नेताओं के खिलाफ क्यों स्पाट पर ही दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जा रही है.