Coronavirus
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    नागपुर. कोरोना की दूसरी लहर अभी पूरी तरह से खत्म भी नहीं हो पा रही है कि विशेषज्ञों की ओर से तीसरी लहर की न केवल आहट बल्कि खतरनाक होने के झटके लोगों दिए जा रहे हैं. तीसरी लहर में सर्वाधिक बच्चों के लिए यह खतरनाक होने की संभावना जताई जा रही है. इसकी संभावित घातक परिणामों को लेकर तो चर्चा हो रही है लेकिन बच्चों के लिए परिजन ही घातक होने की ओर किसी का ध्यान आकर्षित नहीं किया जा रहा है. जानकारों के अनुसार कोरोना की पहली लहर से ही मनोरंजन की सभी इकाइयां स्कूल आदि बंद है. यहां तक कि बच्चों का बाहर आना-जाना पूरी तरह बंद है. जिससे यह निश्चित है कि बच्चों तक केवल परिजनों के माध्यम से ही कोरोना का फैलावा हो रहा है. यानी परिजन ही बच्चों के लिए घातक साबित होते जा रहे हैं. जिससे परिजनों को ही सर्वाधिक सतर्क होना पड़ेगा.

    सतर्क कर रहे या फैला रहे है डर

    जानकारों के अनुसार कोरोना की तीसरी लहर जहां-तहां चर्चा का विषय बना हुआ है. नियमित कार्यप्रणाली के अनुसार विशेषज्ञों की ओर से तीसरी लहर का अंदेशा दिया जा रहा है. जिसमें होनेवाली परेशानियों को लेकर आगाह करने का प्रयास किया जा रहा है. लेकिन इससे सर्वाधिक भय फैलता जा रहा है. जबकि लोगों को इससे निपटने के कुछ सुझाव दिए जाने चाहिए. अब तक पहली लहर से 60 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को सर्वाधिक कोरोना होने का अनुमान लगाया जा रहा था. यहां तक कि बच्चों में सर्वाधिक इम्यूनिटी होने के कारण उन्हें इसकी बाधा कम होने की ही वकालत विशेषज्ञों द्वारा की जा रही थी किंतु अब अचानक यू-टर्न लिया गया है. जिसमें अब सर्वाधिक बच्चों को बाधा होने की जानकारी दी जा रही है. विशेषज्ञों के भी लगातार बदलते समीकरणों से जनता में सम्भ्रम की स्थिति है.

    माता-पिता को रखना होगा ख्याल

    जानकारों के अनुसार लगभग डेढ़ वर्ष से बच्चे तो घर पर ही है यहां तक कि बाहरी लोगों से उनका किसी तरह का सम्पर्क नहीं है लेकिन किसी न किसी कारणवश माता-पिता को बाहर निकलना पड़ता है. अनजाने में बाहर से किसी पॉजिटिव की चपेट में आने से माता-पिता के कारण ही वायरस बच्चों तक फैलने से इनकार नहीं किया जा सकता है. हालांकि बच्चों में कोरोना के लक्षण तो दिखाई नहीं देते है लेकिन बाधित होने से दादा-दादी जैसे बुजुर्गों के लिए वे सुपर स्प्रेडर के रूप में काम कर सकते हैं. यहां कारण है कि किसी भी काम के सिलसिले में बाहर निकलनेवाले लोगों को इसका अधिक ध्यान रखना होगा. कुछ जानकारों का मानना है कि बच्चों को अकेला रखना संभव न हो तो माता-पिता भले ही बाधित रहे, लेकिन मास्क आदि का उपयोग कर बच्चों के साथ रह सकते हैं.