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    • 176 नमूनों का विभाग में था लक्ष्य 
    • 55 ही लिए जा सके

    नागपुर. बाजार में मिल रही खाने-पीने की चीजों से लोगों की सेहत पर बुरा असर न हो इसकी जांच की जवाबदारी जिस अन्न एवं आपूर्ति प्रशासन के पास है वह खुद बीमार नजर आ रहा है. तभी तो फूड आइटम्स के सैंपल लेने जैसे रोजमर्रा के काम तक पूरे नहीं हो पा रहे. विभाग को प्रत्येक जिले में अन्न पदार्थों के नमूने एकत्रित कर जांच के लिए लैब में भेजने का टारगेट दिया जाता है. देखा गया है कि वर्ष पर विभाग बहुत ज्यादा गंभीरता नहीं दिखाता लेकिन वित्त वर्ष के आखरी 2-3 महीनों में टारगेट पूरा करने के लिए धड़ाधड़ सैंपल कलेक्ट किए जाते है. मिलावटखोरी करने वाले भी इस बात को समझ गए.

    इसलिए वर्ष पर मिलावट करने का गोरखधंधा शुरू रख आखरी के 2-3 महीने संभलकर काम किया जाता है. विभाग की उदासीनता इस बात से समझी जा सकती है कि इस वर्ष 1 अप्रैल से 20 मई तक जिले में फूड के केवल 17 नमूने इकट्ठे किए गए, जबकि टारगेट 80 नमूनों का रखा गया था. पूरे विभाग में इस दौरान केवल 55 सैंपल लिए गए.

    टारगेट 176 नमूनों का था. वर्धा जिले में इस दौरान केवल 1 सैंपल लिया गया जबकि टारगेट 24 का था. विभाग की लोगों के स्वास्थ्य के प्रति उदासीनता इसी से समझ आ जाएगी. इस दौरान केवल नागपुर जिले में ही 28,81,615 रुपये का माल बरामद किया गया. भंडारा, वर्धा, चंद्रपुर और गढ़चिरोली जिलों में कुछ भी माल बरामद नहीं हुआ. 

    पिछले वर्ष भी रहे उदासीन

    एफडीए अधिकारियों का कहना था कि इस वर्ष अप्रैल-मई के दौरान कोरोना के बढ़ते मामलों के कारण स्टाफ को दूसरे काम में लगाया गया. बाजार बंद होने के कारण भी पर्याप्ट सैंपल नहीं लिए जा सके. पर पिछले वित्त वर्ष के दौरान भी विभाग नमूने एकत्रित करने में पीछे रह गया. विभाग में 1,562 नमूनों के टारगेट के विपरीत 1,268 नमूने ही लिए जा सके. जिले में भी 621 नमूने लिए गए. टारगेट 710 का था.  

    जिलानुसार टारगेट और लिए नमूने  

    जिला टारगेट नमूने

    नागपुर 80 17

    भंडारा 32 11

    वर्धा 24 1

    चंद्रपुर 24 4

    गढ़चिरोली 16 22

    कुल 176 55