weekly market
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    नागपुर. राज्य सरकार द्वारा किराना, सब्जी, फल जैसी जीवनावश्यक वस्तुओं की दूकानों को सुबह 7 से 11 बजे तक ही शुरू रखने के निर्णय के बाद 2 अलग-अलग तरह की स्थितियां नजर आई. अब तक जीवनावश्यक वस्तुओं की श्रेणी में आने के कारण किराना, अनाज, तेल के थोक बाजार पूरा दिन काम कर रहे थे. इससे बाजारों में काफी भीड़ देखी जा रही थी. पूरा दिन दूकानें शुरू होने के बावजूद हर समय दिखने वाली भीड़ प्रशासन के लिए चुनौती बन गए थे. यह भीड़ संक्रमण को बढ़ा रही थी.

    मंगलवार से केवल 4 घंटे दूकानें शुरू रखने के फैसले के बाद सुबह 11 बजे तक खरीदारी के लिए काफी लोग बाजार में नजर आए. इसके बाद दूकानें बंद होते ही वहां वीरानी नजर आने लगी. कुछ यही हाल सब्जी बाजारों का भी था. कलमना और कॉटन मार्केट में रोज जूट रही भीड़ ऐसी थी कि कोई देखकर ही डर जाए. इसके बावजूद यहां दलाल, मजदूर, किसान और खरीदारों की भीड़ संक्रमण बढ़ा रही थी. इन दोनों बाजारों में जुट रही भारी भीड़ को देखकर पहली बार लगाए गए लॉकडाउन के दौरान तत्कालीन मनपा आयुक्त तुकाराम मुंढे ने इन मंडियों का विक्रेद्रीकरण कर दिया था.

    कम हुए बिना वजह भटकने वाले

    शहर में इतवारी, महल, सीताबर्डी, धरमपेठ, गिट्टीखदान जैसे व्यापारिक क्षेत्रों में सब्जी, फल, किराना, बेकरी, दूध की दूकानें पूरा दिन शुरू रहने से इनके आसपास पूरा दिन खरीदारों का जमघट लगा रहता था. कई लोग तो बिना वजह या छोटा-मोटा सामान लेने भी दूकानों में भीड़ कर रहे थे. इससे चाहकर भी प्रशासन कुछ नहीं कर पा रहा था लेकिन मंगलवार को सुबह 11 बजे के बाद यहां अलग ही नजारा दिखाई दिया. बाजार पूरी तरह बंद रहे. जरूरी सेवा से जुड़े लोग ही नजर आए.

    लोग है कि मानते नहीं

    अब भी कुछ लोग सुधरने का नाम नहीं ले रहे. बंदी के बावजूद हर गली कूचे में कुछ सब्जी, फल की दूकानें लगाने वाले नियमों का पालन नहीं कर रहे. कॉटन मार्केट परिसर में भी कुछ फल विक्रेता बंदी के समय रास्तों पर नजर आए.