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  • जिला परिषद प्रशासन ने भेजे कई प्रस्ताव
  • 422 करोड़ का नुकसान
  • 32 करोड़ मिले थे 7 वर्ष पूर्व

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नागपुर. यह जिले की विडंबना ही है कि ग्रामीण भागों में बाढ़ से खराब हुई सड़कों की मरम्मत के लिए पिछले 8 वर्षों में केवल 32 करोड़ रुपये राज्य सरकार ने दिये हैं. जबकि पिछले 8 वर्षों में जिले के ग्रामीण भागों में जितनी सड़कें खराब हुई हैं उसकी मरम्मत के लिए 422 करोड़ रुपये की निधि चाहिए. जिला परिषद के तात्कालीन सत्ताधारियों ने तब की बीजेपी सरकार से कई बार पत्र भेजकर निधि की मांग की लेकिन निधि नहीं दी गई.

तात्कालीन बांधकाम समिति सभापति चंद्रशेखर चिखले हों या फिर शरद डोणेकर, दोनों ने कई-कई पत्र सरकार को लिख डाले लेकिन निधि नहीं दी गई. हर वर्ष बाढ़ से जिले की कुछ तहसीलों में बाढ़ आती है जिसमें कई सड़कें ध्वस्त हो जाती हैं. उनका सर्वे कर जिला परिषद बांधकाम विभाग नुकसान का प्रस्ताव तैयार कर सरकार को भेजता है. वर्ष 2013-14 में जब आघाड़ी की सरकार थी तब 32 करोड़ रुपये की निधि जिला परिषद को मिली थी लेकिन उसके बाद से 1 रुपया भी नहीं मिला. उसके बाद राज्य में भाजपा-शिवसेना की सरकार थी.

इस वर्ष भी भारी नुकसान

इस वर्ष भी जिले की 5 तहसीलों में बाढ़ से सड़कों व छोटे पुलिया को कई जगहों पर भारी नुकसान पहुंचा है. बांधकाम विभाग ने जिले में 280 सड़कों को नुकसान पहुंचने का प्रस्ताव तैयार किया है. जिले के 13 तहसीलों में 569.22 किमी सड़कें खराब हुई हैं. विभाग ने इसकी दुरुस्ती के लिए सरकार से 70 करोड़ रुपये की मांग का प्रस्ताव भेजा है. बाढ़ से कामठी, पारशिवनी, मौदा, सावनेर, रामटेक तहसीलों में खेतों व गांवों के घरों में नुकसान पहुंचा था. जिसका जायजा लेने के लिए केन्द्र सरकार की टीम भी आई थी. किसानों व घरों के नुकसान भरपायी की निधि तो जिला प्रशासन को मिल गई और वितरित कर दी गई लेकिन जिप बांधकाम विभाग द्वारा भेजे गए सड़कों के नुकसान के प्रस्ताव पर राज्य सरकार ने अब तक कुछ नहीं किया है. 

तंगहाली में ZP

कोरोना महामारी का असर जिला परिषद पर भी हुआ है. सरकार से मिलने वाला मुद्रांक शुल्क और किसी भी तरही की निधि जिला परिषद को नहीं मिली है जिसके चलते सारे विकास कार्य भी अटके हुए हैं. कोई आय नहीं होने के चलते सेसफंड में प्रस्तावित कार्य भी लटके हुए हैं. चर्चा है कि पदाधिकारियों और अधिकारियों के पास केवल बैठकें लेकर संतोष कर लेने का कार्य ही रह गया है इसलिए उनमें उत्साह भी नजर नहीं आ रहा है.