Abhijeet Wanjari and Sandeep Joshi

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नागपुर. विधान परिषद की नागपुर संभाग पदवीधर निर्वाचन सीट इस बार यहां के आला नेताओं के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बनी हुई थी. हालांकि इस सीट को भाजपा की परंपरागत सीट माना जाता रहा है. इसका कारण भी है. तत्कालीन सीएम और वर्तमान विस में विपक्ष के नेता देवेन्द्र फडणवीस के पिता गंगाधरराव फडणवीस से लेकर केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी भी नागपुर पदवीधर सीट से ही चुनाव जीतकर उच्च सदन में पहुंचते थे.

फडणवीस 2 बार और गडकरी 3 बार इस सीट से विधान परिषद में पहुंचे. उसके बाद अनिल सोले इस सीट से भाजपा के खाते से सदन पहुंचे थे. उनके बाद चुनाव में भाजपा ने नागपुर के मेयर संदीप जोशी को मैदान में उतारा. अब तक यह सीट भाजपा के ही कब्जे में रही है. पिछले चुनाव तो एक तरह से एकतरफा ही हुआ करते थे क्योंकि कांग्रेस व अन्य पार्टियों ने कभी इसमें खास रुचि नहीं ली. कांग्रेस अब तक चुनावों में यहां सीधे तौर पर नहीं उतरी थी और भाजपा के खिलाफ खड़े हुए किसी उम्मीदवार को समर्थन देती रही थी.

कांग्रेस बनी चुनौती

विधानसभा चुनाव में राज्य में भाजपा को सबसे अधिक सीटें मिलीं. शिवसेना के साथ युति थी लेकिन सीएम की कुर्सी को लेकर शिवसेना ने कांग्रेस और राकां के साथ मिलकर महाविकास आघाड़ी सरकार बना ली. उसके बाद से भाजपा और शिवसेना के बीच तलवारें खिंची ही रहती हैं. इस बार जब पदवीधर चुनाव के कार्यक्रम घोषित हुए तो महाविकास आघाड़ी ने भाजपा की परंपरागत सीट पर उसे चुनौती देते हुए कांग्रेस के अभिजीत वंजारी को मैदान में उतार दिया. उनके समर्थन में शिवसेना, राकां सहित कांग्रेस के सारे दिग्गज नेताओं ने एकजुट होकर प्रचार में जोर लगा दिया. वोटिंग के बाद अब चर्चा हो रही है कि इस बार भाजपा को एकतरफा या आसान जीत हासिल नहीं होने वाली है. भाजपा में जहां नितिन गडकरी, देवेन्द्र फडणवीस सहित अन्य नेताओं ने जोर लगाया वहीं कांग्रेस, राकां के आला नेताओं ने वंजारी के लिए जोर लगा दिया था. विधानसभा चुनावों की तर्ज पर इस बार इस चुनाव के लिए प्रचार किया गया और सभाएं आयोजित हुईं. 

बसपा हो गई साइड

बताते चलें कि 2013 के चुनाव में इस सीट पर बसपा ने अच्छा प्रदर्शन किया था लेकिन इस बार न जाने क्यों पार्टी ने अपना उम्मीदवार ही मैदान में नहीं उतारा. हालांकि बहुजन वंचित आघाड़ी, रिपाई के उम्मीदवार मैदान में थे तो विदर्भवादी संगठनों ने नितिन रोंघे को चुनाव लड़वाया है. यह भी बताते चलें कि 2013 की तुलना में पदवीधर चुनाव के लिए मतदाताओं ने भी अपना पंजीयन काफी कम करवाया है. इस चुनाव में करीब 82,000 मतदाता कम थे. इसका भी चुनाव परिणाम में काफी असर पड़ने की चर्चा है. चुनाव परिणाम नागपुर जिले के वोटरों पर निर्भर बताया जा रहा है क्योंकि 50 फीसदी के करीब मतदाता अकेले नागपुर जिले के रहे हैं. 

कल आएगा परिणाम

वोटों की गिनती 3 दिसंबर को सुबह 8 बजे मानकापुर स्थित विभागीय क्रीड़ा संकुल में शुरू होगी. परिणाम भी इसी दिन घोषित कर दिया जाएगा. प्रशासन ने तैयारी पूरी कर ली है. 55 फीसदी के करीब मतदान हुआ है. मतलब एक-सवा लाख वोटों की गिनती होनी है. भाजपा और कांग्रेस खेमे में अब परिणाम का उत्सुकता से इंतजार किया जा रहा है.