Navodaya Bank Scam, Ashok Dhavad

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नागपुर. नवोदय बैंक में हुई कथित वित्तीय धांधली को लेकर बैंक के अध्यक्ष एवं पूर्व विधायक अशोक धवड़ 4 नवंबर 2019 से जेल में हैं. इस मामले को लेकर जमानत के लिए कई बार विभिन्न अदालतों के दरवाजे खटखटाए गए, किंतु जमानत नहीं दी गई. अब मंगलवार को हुई सुनवाई के बाद न्यायाधीश पुष्पा गनेडीवाला ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद जमानत पर रिहा करने के आदेश जारी किए.

धवड़ की ओर से पैरवी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता सुबोध धर्माधिकारी ने सुनवाई के दौरान कहा कि मामले को लेकर अब पुलिस की ओर से चार्जशीट दायर की गई है, जिससे अभियुक्त के कस्टडी की आवश्यकता नहीं है. यहां तक कि इसी मामले से जुड़े अन्य अभियुक्त मैनेजर एवं अन्य संचालक को हाई कोर्ट की ओर से जमानत प्रदान की गई है. सुको के फैसलों का हवाला देते हुए बताया कि केवल पुख्ता सबूत और गवाहों पर असर होने की संभावना के बाद ही अभियुक्त को जमानत नहीं देने के स्पष्ट फैसले हैं.

जब्ती में है 20 करोड़ की सम्पत्ति 

सुनवाई के दौरान अदालत को बताया गया कि बैंक के एक अन्य संचालक विजय बाभरे को हाई कोर्ट की ओर से इसी मामले में जमानत प्रदान की गई है. इसके अलावा याचिकाकर्ता की 20 करोड़ की कीमत की 2 सम्पत्तियां और 86 लाख रु. का बैंक खाता पुलिस द्वारा पहले ही जब्त किया जा चुका है. हालांकि जिन वित्तीय लेनदेन में धांधली का आरोप लगाया जा रहा है. उसमें याचिकाकर्ता किसी भी तरह से लाभार्थी नहीं है. बैंक में किसी भी तरह के फैसले अकेले अध्यक्ष द्वारा नहीं लिए जाते हैं. बैंक के बोर्ड आफ डायरेक्टर के माध्यम से सभी निर्णय लिए जाते हैं. यहां तक कि नीतियां तय की जाती हैं. इसके अलावा प्रतिदिन की गतिविधियों में अध्यक्ष का किसी तरह से सहभाग नहीं होता है. प्रतिदिन के कार्य ब्रांच मैनेजर द्वारा संबंधित बैंकों में संचालित होते हैं. ईओडब्ल्यू द्वारा सभी दस्तावेज भी जब्त किए गए हैं, जिससे उनमें छेड़छाड़ की कोई संभावना भी नहीं है. 

सरकारी पक्ष ने किया विरोध

सरकार की ओर से पैरवी कर रहे सहायक सरकारी वकील सुशील घोडेस्वार ने बचाव पक्ष का कड़ा विरोध करते हुए कहा कि बैंक के अध्यक्ष होने के नाते याचिकाकर्ता का पूरे मामले से संबंध है. स्पेशल आडिटर की ओर से नवोदय बैंक के संचालक और अध्यक्ष के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई है, जिसमें धोखाधड़ी के अलावा एमपीआईडी की विभिन्न धाराओं में मामला दर्ज किया गया है. 38.75 करोड़ की वित्तीय धांधली के लिए याचिकाकर्ता भी जिम्मेदार है. दोनों पक्षों को सुनने के बाद अदालत का मानना था कि सरकारी पक्ष की ओर से जमानत के खिलाफ कोई भी पुख्ता तर्क नहीं दिए जा रहे हैं. जिसके बाद अदालत ने पासपोर्ट जमा करने, ईओडब्ल्यू कार्यालय तथा सुनवाई के दौरान उपस्थिति दर्ज कराने की शर्त पर जमानत पर रिहा करने के आदेश जारी किए.