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    नागपुर. मंगलवार को मनपा मुख्यालय में उस समय कुछ देर के लिए हंगामा शुरू हो गया जब वेतन रोके जाने को लेकर एनडीएस जवानों ने वित्त अधिकारी विजय कोल्हे के खिलाफ रोष जताया. यहां तक कि एनडीएस प्रमुख वीरसेन तांबे ने कोल्हे की लापरवाह कार्यप्रणाली तथा विवाद किए जाने का विरोध कर सेवा रोकने की चेतावनी दे दी. मामले की गंभीरता को देखते हुए वरिष्ठ अधिकारियों के बीच-बचाव के बाद मामला शांत हो सका. बताया जाता है कि मनपा में एनडीएस दस्ते में सेना के 176 जवान सेवाएं दे रहे हैं. सभी जोन में उनकी तैनाती की गई है. सभी को समय पर वेतन नहीं मिलने से कुछ को लेखा विभाग में भेजा गया. कुछ देर में एनडीएस प्रमुख वीरसेन तांबे भी पहुंच गए जहां वित्त अधिकारी विजय कोल्हे की ओर से गैर संवैधानिक भाषा का उपयोग कर तांबे के साथ विवाद किया गया. 

    2 माह देरी से वेतन

    बताया जाता है कि हर माह की 10 तारीख को जवानों को वेतन दिया जाता है किंतु गत 2 माह से वेतन समय पर नहीं मिल रहा है. इसी तरह 13 तारीख होने के बावजूद वेतन नहीं मिलने से जवान पूछताछ के लिए वित्त विभाग के कार्यालय गए थे जहां लेखा विभाग के दहिवले ने लेखाधिकारी राजेश मेश्राम और मुख्य वित्त अधिकारी कोल्हे के पास हस्ताक्षर के लिए फाइल भेजे जाने की जानकारी दी जिससे जवान मुख्य वित्त अधिकारी के पास पहुंचे. मुख्य वित्त अधिकारी ने इस तरह की कोई भी फाइल नहीं भेजे जाने की जानकारी दी. इसी बीच दहिवले ने फाइल गायब होने की बात स्वीकार की. इसके बाद एनडीएस प्रमुख तांबे ने पूरे प्रकरण को मनपा आयुक्त के पास ले जाने की चेतावनी दी. 

    मनपा की तिजोरी में जमा किए 13 करोड़

    आयुक्त के पास जाने की चेतावनी देने की सूचना मिलते ही कोल्हे ने तांबे को अपने पास बुला लिया जहां गैर संवैधानिक भाषा का उपयोग कर विवाद किया. इसकी खबर लगते ही सभी जवान मुख्यालय पहुंच गए. सेवाएं रोकने की चेतावनी दी गई जिसके बाद तांबे ने अति. आयुक्त राम जोशी और उपायुक्त निर्भय जैन को भी घटना की जानकारी दी. महापौर को भी भनक लगने से प्रशासन और महापौर के हस्तक्षेप से प्रकरण को शांत किया गया. बताया जाता है कि एनडीएस दस्ते ने अलग-अलग कार्रवाई कर मनपा की तिजोरी में लगभग 13 करोड़ जमा किए हैं. इसके बावजूद वेतन में देरी होने से जवानों द्वारा रोष जताया गया.