Nagpur Airport

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नागपुर. डा. बाबासाहब आम्बेडकर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के प्रस्तावित विस्तार योजना को लेकर भले ही सरकार की ओर से ठेका आवंटित किया गया हो, लेकिन अब अचानक ही ठेका रद्द किए जाने को चुनौती देते हुए जीएमआर कम्पनी की ओर से हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई. याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई के बाद न्यायाधीश सुनील शुक्रे और न्यायाधीश अनिल किल्लोर ने केंद्रीय नागरी उड्डयन मंत्रालय, एयरपोर्ट विकास प्राधिकरण, मिहान इंडिया कम्पनी, राज्य सरकार और एमएडीसी को नोटिस जारी कर जवाब दायर करने के आदेश जारी किए. याचिकाकर्ता की ओर से अधि. जुगलकिशोर गिल्डा और मिहान इंडिया की ओर से अधि. आर.एम. भांगडे ने पैरवी की.

फैसले पर रोक लगाने से इंकार
सुनवाई के दौरान अधि. गिल्डा ने कहा कि सरकार की ओर से ठेका आवंटित करने के बाद याचिकाकर्ता कम्पनी की ओर से यहां पर कार्यालय भी स्थापित कर दिया है. यहां तक कि पूरी तैयारियां की जा चुकी हैं, लेकिन अब अचानक ही ठेका रद्द किया गया. विरोध करते हुए अधि. भांगडे ने कहा कि सरकार की ओर से गत वर्ष ही इस संदर्भ में निर्णय लिया गया है, जबकि वर्तमान में कोई नया निर्णय नहीं लिया गया. अधि. गिल्डा का मानना था कि चूंकि कम्पनी ने पूरी तैयारियां कर ली हैं, अत: कम से कम याचिका पर फैसला होने तक सरकारी फैसले पर रोक लगाने की मांग उन्होंने की. किंतु अदालत ने रोक लगाने से इंकार करने के साथ ही, यदि कोई नया टेंडर जारी किया जाता है तो वह अदालत के फैसले के अधीन होने के आदेश भी दिए.

याचिका पर होगी अंतिम सुनवाई
अदालत ने भले ही रोक लगाने से इंकार किया, लेकिन याचिकाकर्ता के अनुरोध पर इस पर अंतिम सुनवाई करने के आदेश दिए. याचिका में बताया गया कि अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के विस्तार के लिए निविदा जारी किए जाने के बाद लगभग 13 कम्पनियों ने हिस्सा लिया था. जीएमआर कम्पनी सहित अन्य 4 कम्पनियों की तकनीकी बोली के लिए चयन किया गया. हवाई अड्डे का प्रारूप, विकास योजना, प्रवासी परिवहन का प्रमाण, हवाई अड्डे से होनेवाली व्यवसायीय आय जैसे मुद्दों के साथ राज्य सरकार को होनेवाली कुल आय में हिस्सेदारी पर दिए गए इच्छापत्र के अनुसार कम्पनी का चयन किया गया था.

जीएमआर कम्पनी को मार्च 2019 में ही ठेका आवंटित किया गया था. जिसके बाद एमजीआर ने एसपीवी के लिए भागीदार कम्पनी का भी चयन किया. कार्य शुरू करने के संदर्भ में राज्य सरकार को कई बार पत्र भेजा गया, लेकिन 16 मार्च को राज्य सरकार की ओर से टेंडर की प्रक्रिया ही रद्द करने का फैसला लिया गया.