Representational Pic
Representational Pic

  • सुबह से ही खोल दी थी दूकानें

Loading

नागपुर. कोविड -19 संक्रमण के चलते मार्च माह में घोषित लॉकडाउन के बाद बंद किये गए सभी मंदिरों, धार्मिक स्थलों को मंगलवार से भक्तों के दर्शनार्थ खोल दिया गया हैं. मंदिरों के खुलते ही एक ओर जहां भक्तों में भारी उत्साह देखा जा रहा है, वहीं मंदिरों के सामने हार, फूल, प्रसाद तथा अन्य पूजन सामग्री बेचने वाले दूकानदारों के चेहरे पर भी खुशी वापस लौट आयी है. उनके अच्छे दिन वापस लौट आ जाने से वे भी भारी उत्साह में रहे.

मंदिर खुलने की खुशी में गणेश टेकड़ी, तेलंगखेड़ी, आग्याराम देवी मंदिर, पारडी स्थित भवानी माता मंदिर, कोराडी स्थित जगदंबा मंदिर, वर्धा रोड स्थित साईं बाबा मंदिर, ताजबाग आदि धर्मिक स्थलों के सामने पूजन सामग्री के दूकानदारों ने सोमवार शाम से ही अपनी-अपनी दूकानों को सजाना शुरू कर दिया था.

रातभर कड़ाके की ठंड के बावजूद पूजन सामग्री की दूकानों में अनेक दूकानदार रात में भी रुके रहे, उन्हें सुबह होने का इंतजार था कि सुबह कितने जल्दी होती है और वे मंदिर खुलने के पूर्व ही पूजन सामग्री की दूकानों को खोल सके. हुआ भी यहीं, अनेक मंदिरों के पास तो सूर्योदय के पूर्व से ही पूजन सामग्री की दूकानें खुल गई थी. सभी भक्तों की सेवा करने में लगे हुए थे. उनका कहना था प्रभु ने आखिर हमारी मुराद सुन ली और मंदिर खुल गए, हमें भी हमारा रोजगार वापस मिल गया.

‘कुछ मत पूछो साहब बुरे हाल हो गए थे’

पूजन सामग्री बेचने वाली एक महिला दुकानदार कमलाबाई ने बताया कि साहब कुछ मत पूछो अब तो उन दिनों को याद करते हुए बड़ा डर लगता है. कोरोना संक्रमण के कारण लॉकडाउन क्या घोषित हुआ कि मंदिरों के साथ-साथ पूजन सामग्री की दूकानों को भी बंद कर दिया गया. विगत 8 महीने से पूजा सामग्री की दूकानें बंद होने से उनके परिवार के सामने संकट की स्थिति आ गई थी. रोजी-रोटी के लिए भी भटकना पड़ रहा था. अब पूजा सामग्री की दूकानें शुरू तो हुई है परंतु फिर भी उस संकट और घाटे से उबरने में अभी काफी समय लगेगा. 

चलो अच्छा हुआ प्रभु ने सुन ली

पूजन सामग्री, प्रसाद के एक अन्य दुकानदार विनायकराव ने बताया कि मंदिरों के पास की पूजन सामग्री की दूकानें विगत 8 माह से बंद रहने से उनके एवं उनके परिवार के सामने संकट की स्थिति आ गई थी. दूकानें बंद रहने से आवक भी बंद हो गई, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति भी डगमगा गई. हालात तो यहां तक बिगड़ गए कि उनके परिवार के सामने खाने के भी लाले पड़ गए क्योंकि उनके पास में आय का और कोई साधन ही नहीं था. उनके बच्चों की पढ़ाई रुक गई, बेटी की शादी के लिए जो कुछ जोड़कर रखा था, वह भी 8 माह के लॉकडाउन में खर्च हो गया. अब फिर से दूकान शुरू करना है तो इधर-उधर से पैसे का जुगाड़ कर दुकान में फिर से सामान ला लिया है, अब गाड़ी को फिर से पटरी पर आने में काफी समय लगेगा.

साहब… फिर से बंद तो नहीं कर देंगे दूकानें

एक अन्य पूजन सामग्री दूकानदार राधाबाई ने रोते-रोते कहा कि हमारे पास जो कुछ भी था, वह 8 महीने के लॉकडाउन में सबकुछ खत्म हो गया. अब फिर से अच्छे दिन आने का इंतजार है. राधाबाई का कहना है कि अब फिर से दूकानें बंद नहीं होना चाहिए, नहीं तो उनका बुरा हाल हो जाएगा. उन्होंने बताया कि कुछ लोग फिर से कोरोना की दूसरी लहर आने की बात कर रहे है, ऐसा नहीं होना चाहिए, ऐसा हुआ तो फिर से मंदिर और पूजन सामग्री सहित सभी दूकानें बंद कर दी जाएगी और उनके सामने संकट बढ़ जाने से फिर उबरने का कोई रास्ता नहीं रहेगा. राधाबाई बार-बार यहीं सवाल कर रहीं थी, फिर से बंद तो नहीं कर देंगे दूकानें. फिर कुछ समय रुकते हुए उन्होंने कहा नहीं-नहीं ऐसा नहीं… भगवान अपने भक्तों का ख्याल रखते है, वे ऐसा नहीं होने देंगे. अब अच्छे दिन बने रहेंगे.