covid-19: Classes held in a school in Latur, Maharashtra, case registered against management

  • शिक्षा मंत्री के साथ विधायकों की बैठक में सुझाव

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नागपुर. कोरोना की पार्श्वभूमि पर छात्रों की उम्र को ध्यान में रखते हुए 15 जून से स्कूल शुरू करने की जल्दबाजी शिक्षा विभाग द्वारा नहीं की जानी चाहिए. कोरोना मरीजों की संख्या दिनोदिन बढ़ रही है. इस हालत में योग्य निर्णय लेने की सलाह शिक्षक विधायकों ने दी. गुरुवार को सभी शिक्षक विधायकों के साथ शिक्षा मंत्री वर्षा गायकवाड ने ज़ूम एप के माध्यम से बैठक ली. दरअसल विदर्भ को छोड़कर राज्य के शेष हिस्सों में 15 जून से स्कूलें शुरू हो जाती है.

बैठक में विधायकों ने बताया कि जून में भी कोरोना मरीजों की संख्या अधिक बढ़ने का अनुमान है. पहले केवल शहरों तक ही मरीज सीमित थे, लेकिन अब गांवों में मरीज फैल गये हैं. श्रमिकों को पलायन के बाद अनेक स्कूल, कालेजों को क्वारंटाइन में तब्दील किया गया है. उक्त स्कूल, कॉलेज कब खाली होंगे बताया नहीं जा सकता. वैसे भी इन दिनों अनेक शिक्षक कोरोना से संबंधित सेवा दे रहे हैं. अब तक गर्मियों की छुट्टी भी नहीं मिली हैं. सर्वप्रथम राजस्व मंत्री के साथ चर्चा कर शिक्षकों को कोरोना के कार्य से मुक्त करना होगा.

छात्रों को मिलें घरपहुंच किताबें
विधायकों ने कहा कि विभाग यह व्यवस्था करे कि छात्रों को 15 जून को घर तक किताबें पहुंचाई जायें. इस हालत में छात्र घर में बैठकर अध्ययन कर सकेंगे. सभी स्कूलों की प्रवेश प्रक्रिया आनलाइन कराई जाए. हर क्लास में प्रवेश देते वक्त छात्र क्षमता का बंधन रखा जाये. सैनिटाइजर से फव्वारणी की जाए. छात्रों के बार-बार हाथ धोने, स्वच्छता बनाए रखने के लिए कर्मचारियों की नियुक्ति की जाए. शिक्षकेत्तर कर्मचारियों की बंद की गई भर्ती पुन: शुरू की जाए. अब स्कूलों का खर्च बढ़ जाएगा.

इस हालत में सभी स्कूलों को अनुदान मंजूर किया जाए. वहीं अन्य विधायकों ने बताया कि पहले चरण में 9-12वीं तक क्लासेस शुरू की जाए. साथ ही 13 सितंबर 2019 के अनुसार बिना अनुदानित स्कूलों को 20 फीसदी और 20 फीसदी वालों को 40 फीसदी अनुदान दिया जाए. जिन स्कूलों का मूल्यांकन पूर्ण हो गया है, उन्हें 2012-13 से अनुदानित घोषित किया जाए.

कोरोना की परिस्थिति की समीक्षा के बाद ही स्कूल शुरू किए जानी चाहिए. जल्दबाजी में कोई भी फैसला छात्रों की जान के लिए घातक हो सकता है. परिस्थिति पहले जैसी नहीं है. यही वजह है कि सरकार को सभी पहलुओं का विचार करना होगा.

– खेमराज कोंडे, विभागीय अध्यक्ष मरारांशिसं.

ग्रामीण भागों की अनेक स्कूलों को क्वारंटाइन सेंटर में तब्दील किया गया है. सबसे पहले स्कूलों को खाली कराना होगा. यह तभी संभव होगा जब कोरोना के मरीजों की संख्या कम होगी. सरकार को पर्याप्त उपाय योजना के बिना स्कूल शुरू नहीं करना चाहिए.

– प्रा. सपन नेहरोत्रा, विभागीय कार्यवाह शिक्षक भारती.