Pandhan Road
File Photo

  • जिला परिषद के सुपुर्द करने की उठ रही मांग

Loading

नागपुर. जिले में किसानों को समृद्ध बनाने के लिए उनके खेतों में सड़क यानी पांधन रास्ते की संकल्पना तत्कालीन जिप अध्यक्ष रमेश मानकर ने की थी. तब उन्होंने जिले की सभी तहसीलों का सर्वे करवाकर संपूर्ण जिले में पांधन रास्तों का एक डीपीआर तैयार करवाया था और सरकार से निधि की मांग की थी. उसके बाद जिले में पांधन निर्माण का प्रयास अन्य पदाधिकारियों ने भी किया, लेकिन सरकार से इसके लिए निधि का प्रावधान ही नहीं होने के चलते यह योजना ठप पड़ी हुई है.

तत्कालीन पालक मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने मुख्यमंत्री सड़क योजना की तर्ज पर जिले में ‘पालक मंत्री पांधन रास्ते योजना’ शुरू की थी लेकिन वह तभी से ठंडे बस्ते में है. हाल ही में हुए जिला परिषद की आम सभा में जब विपक्ष के नेता अनिल निधान ने यह मुद्दा उठाया तो सत्ताधारी कांग्रेस व राकां के सदस्य भड़क उठे. सभी का एक सुर में यही कहना था कि भाजपा के राज में घोषणा ही हुई, लेकिन जिले में एक भी पांधन रास्ता नहीं बना. सदस्यों ने तो पांधन रास्तों की योजना को जिला परिषद के सुपुर्द करने की मांग भी की. यह प्रस्ताव पारित कर राज्य सरकार को भेजने की मांग की गई.

मात्र 25,000 का था प्रावधान

खेतों में जाने के लिए पक्के रास्ते मिलें, इसलिए अतिक्रमण हटाकर रास्तों का मजबूतीकरण करने के उद्देश्य से 27 फरवरी 2018 को ‘पालक मंत्री पांधन रास्ते योजन’ की घोषणा की गई थी. इसे अमल में लाने के लिए जिला, तहसील व गांव स्तर पर समिति स्थापित करने का आदेश दिया गया था लेकिन जिला प्रशासन ने उस आदेश को कचरे की टोकरी में डाल दिया. एक भी गांव में एक भी पांधन की दुरुस्ती या मजबूतीकरण का कार्य नहीं हुआ. तत्कालीन पालक मंत्री ने पांधन के लिए 25,000 रुपये का प्रावधान किया था लेकिन सदस्यों ने सवाल उठाया कि क्या इतनी कम निधि में कोई पांधन तैयार हो सकता है. 

3 चरणों में होता है पूरा

खेतों से उपज बाजार में पहुंचाने के लिए, यंत्र सामग्री खेतों तक ले जाने के लिए, बारिश के समय खेतों में पहुंचने के लिए मजबूत पांधन रास्तों की जरूरत है. इसके अभाव में युवा किसान खेती करने को तैयार नहीं हैं. पांधन रास्ता 3 चरणों में पूरा किया जाता है. एक किमी के लिए 50,000 रुपयों का प्रावधान किया गया. पांधन कच्चा रास्ता मजबूत करने, अतिक्रमणमुक्त कच्चा रास्ता तैयार करने और रास्ते को अतिक्रमणमुक्त कर कच्चा व पक्का रास्ता तैयार करने, यह 3 प्रकार के रास्ते पालक मंत्री पांधन योजना में समाविष्ट किए गए हैं. जहां किसानों की सहमति है और कच्चा रास्ता पहले से तैयार है, वहां पक्के रास्ते का निर्माण करने और उसके लिए समीप उपलब्ध गिट्टी, पत्थर, मुरुम व मिट्टी का उपयोग करने का निर्देश है. परंतु सदस्यों का कहना है कि एक भी पांधन तब से जिले में इस योजना के तहत तैयार नही हुआ है. 

कागज पर ही रह गई योजना

जिप की सभा में सदस्य दुधराम सव्वालाखे ने कहा कि रोगायो विभाग ने 11 कलमी योजना घोषित की थी लेकिन वह योजना भी कागज पर ही रह गई. जिला व तहसील स्तर पर रोगायो कार्यों को अमल में लाने के लिए तहसीलदारों में गंभीरता नजर नहीं आती है. सरकार ने तो पांधन की योजना किसानों के हित के लिए घोषित की है, लेकिन यंत्रणा द्वारा अमल नहीं किए जाने से उसका लाभ किसानों को नहीं मिल पा रहा है. उन्होंने सभा में मांग की कि जिला परिषद सीईओ जिलाधिकारी को पत्र लिखकर पांधन रास्ते योजना जिला परिषद के सुपुर्द करने की मांग करें.