School closed
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  • पैरेंट्स परेशान, प्रशासन कर रहा भ्रमित
  • 02 किस्त जमा कर दीं
  • 5,000 रुपये बस का किराया भी दिया
  • 7 मार्च के बाद की स्थिति का पता नहीं

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नागपुर. कोरोना संकट के कारण जनवरी तक स्कूल बद थे, लेकिन कुछ राहत मिलने के बाद प्रशासन ने शुरू करने की अनुमति दी. घर बैठे-बैठे बच्चे भी बोर हो गये थे. पालकों ने स्कूल भेजने की शुरुआत की, लेकिन प्राइवेट स्कूलों ने पहले फीस की एक या दो किस्त जमा करना अनिवार्य किया. इतना ही नहीं जिन स्कूलों ने बस सुविधा दी थी, उन्होंने बस का किराया भी वसूला. अब एक बार फिर से स्कूल बंद कर दिए गए हैं. 7 मार्च के बाद क्या स्थिति बनती है यह मालूम नहीं. लेकिन अब पालक भी परेशान हो गये हैं. बार-बार के बदले जाने वाले नियमों की वजह से आर्थिक नुकसान भी सहन करना पड़ रहा है.

प्रशासन की मंजूरी के बाद सिटी में 9-12वीं के स्कूल 4 जनवरी से शुरू हुए. जबकि 5-8वीं के स्कूल 8 फरवरी से शुरू किए गए. स्कूल शुरू होने के साथ ही निजी संस्था चालकों ने फीस की 1 या 2 किस्त जमा करना अनिवार्य किया था. अनेक पालकों ने फीस जमा भी की. खासतौर पर जिन पालकों के बच्चे बोर्ड कक्षा में हैं उन्होंने दो या दो अधिक किस्तें जमा कर दी हैं. इतना ही नहीं, कई ग्रामीण क्षेत्रों में बने सीबीएसई स्कूलों ने बस सेवा भी उपलब्ध कराई है. बस सेवा के लिए पालकों से 5,000 रुपये किराया वसूला गया. बिना किराया भरे बच्चों को बस में एंट्री नहीं दी जा रही थी. वहीं जिन स्कूलों ने बसें शुरू नहीं की थीं, उन पालकों ने बच्चों को आटो और वैन लगाई थी. इसके लिए एडवांस भी दिया था. पालकों का कहना है कि पहले ही नियोजन किया जाता तो यह नौबत नहीं आती.

सप्ताहभर ही चले कालेज 

इस बीच विश्वविद्यालय प्रशासन ने भी नोटिफिकेशन जारी कर 7 मार्च तक कालेज बंद करने का निर्णय लिया है. लेकिन इसमें स्पष्ट नहीं किया गया है कि कालेज कब से बंद रहेंगे. यही वजह है कि कालेजों में दिनभर कंफ्यूजन बना रहा. कफ्यूजन की एक वजह यह भी थी कि जब कालेज शुरू करने का नोटिफिकेशन निकाला गया उस वक्त मनपा आयुक्त और जिलाधिकारी के आदेश का उल्लेख नहीं था. यानी विवि प्रशासन ने राज्य सरकार के निर्णय के आधार पर नोटिफिकेशन जारी किया था. विवि ने यह भी साफ कर दिया है कि उनके कार्यक्षेत्र में आने वाले अन्य जिले परिस्थिति के अनुसार निर्णय ले सकते है. वैसे भी वर्धा जिले में अब तक स्कूल और कालेज शुरू नहीं हो सके है, जबकि भंडारा और गोंदिया में शुरू थे. उल्लेखनीय है कि विवि ने 15 फरवरी से कालेज खोलने का निर्णय लिया था. हालांकि अधिकांश कालेजों में 20-30 फीसदी ही उपस्थिति थी. वहीं कई कालेजों ने आनलाइन क्लासेस ही जारी रखी थीं. 

9वीं से 12वीं की चल रही थी परीक्षा

इन दिनों अनेक प्राइवेट स्कूलों में 9-12वीं तक टर्म परीक्षा ली जा रही थी. कोविड के बाद स्कूल खुलने से छात्र भी खुश थे. वहीं बोर्ड के छात्र पूरी तैयारी में जुट गये थे. बोर्ड के छात्रों की प्रैक्टिस के तौर पर इन दिनों स्कूल स्तर की परीक्षा ली जा रही थी. कई जगह यह परीक्षा 28 फरवरी तक ली जानी थी. लेकिन अचानक स्कूल बंद किए जाने के निर्णय से छात्रों के साथ पालक भी मायूस हो गए. अब आनलाइन क्लासेस ही एकमात्र विकल्प बच गया है. यह भी तय नहीं है कि 7 मार्च के बाद नियमित रूप से क्लासेस शुरू हो सकेंगी, क्योंकि यह कोरोना की परिस्थिति पर निर्भर करेगा. अनिश्चितता के माहौल में बोर्ड के छात्र और उनके पालक परेशान हो गये हैं.