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  • नकलचियों ने किए 80-90 प्रतिशत तक अंक हासिल

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नागपुर. आरटीएम नागपुर विवि द्वारा हालिया आयोजित ऑनलाइन परीक्षाओं में नकलचियों ने कदाचार (misconduct) का सहारा लेते हुए 80 से 90 प्रतिशत तक अंक हासिल किए. जिससे मेधावी छात्र पीछे रह गए. चूंकि विवि के पास कदाचार को रोकने के लिए सक्षम तंत्र नहीं था जिसका नकलचियों ने फायदा उठाया. इससे विवि प्रशासन के उन दावों की भी पोल खुल गई जिसमें कदाचार को रोकने के लिए बड़ी-बड़ी बातें कही गई थी.

सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार विवि ने ऑनलाइन परीक्षा अयोजित की जो तकनीकी कमियों के कारण सुर्खियों में रही, विवि द्वारा हाल ही में विभिन्न परीक्षाओं के परिणाम घोषित किए गए. इसमें पिछले कई वर्षों से अनुत्तीर्ण होने वाले छात्र भी परीक्षा पद्धति के उदार नीति के कारण मेरिट लिस्ट में अपना स्थान बनाने में सफल रहे.

दावे की खुली पोल

विवि प्रशासन द्वारा ऑनलाइन परीक्षा के दौरान किसी भी कदाचार को रोकने के लिए परीक्षा ऐप के माध्यम से बारीकी से ध्यान रखने, छात्र का स्क्रीन छोड़ने, शोर या कुछ गलत करते हुए देखे जाने पर उसकी पहचान कर तत्काल प्रभाव से कार्रवाई करने का दावा किया गया था. लेकिन हाल में जारी एक वीडियों में कुछ छात्रों को किताब खोलकर परीक्षा देते हुए स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है. ऐसा कई जगहों पर हुआ है जिसमें छात्रों को एकसाथ बैठकर परीक्षा देने की शिकायत मिली थी. इसके अलावा कुछ कॉलेजों ने छात्रों को इसके लिए मदद भी की.

उल्लेखनीय है कि इन मुद्दों पर विवि द्वारा किसी प्रकार की कोई भी कार्रवाई नहीं की गई. प्रत्येक वर्ष होने वाले परीक्षा में कदाचार के लिए सैंकड़ों छात्रों पर कार्रवाई की जाती हैं. हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि ऑनलाइन परीक्षा में कदाचार को रोकने के लिए विवि द्वारा सक्षम तंत्र का उपयोग नहीं किया गया जिसका छात्रों ने फायदा उठाया.

नकल रोकने के लिए यंत्र नहीं

विवि द्वारा ऑनलाइन परीक्षा के दौरान कदाचार को रोकने के लिए विकसित किए गए ऐप में कोई तंत्र नहीं था. विशेषज्ञों का ऐसा मानना है कि कदाचार रोकने के लिए सही यंत्र का इस्तेमाल केवल नागपुर विवि द्वारा ही नहीं बल्कि राज्य के किसी भी विवि द्वारा इस्तेमाल नहीं किया गया. इसलिए परिणाम यह दर्शाता है कि ऑनलाइन परीक्षा में छात्रों ने अच्छा प्रदर्शन किया.