Navodaya Bank Scam, Ashok Dhavad

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नागपुर. नवोदय अर्बन को-आपरेटिव बैंक में हुई वित्तिय धांधली के लिए सेंट्रल जेल में बंद पूर्व विधायक एवं बैंक के तत्कालीन अध्यक्ष अशोक धवड की ओर से कोरोना का निजी अस्पताल में इलाज कराने के लिए जमानत देने का अनुरोध करते हुए हाईकोर्ट में अर्जी दायर की गई. दोनों पक्षों की ओर से दी गई दलिलों के बाद न्यायाधीश मुरलीधर गिरटकर ने मेडिकल में कोरोना के उपचार की उपयुक्त सुविधा होने का हवाला देते हुए जमानत देने से इंकार कर अर्जी ठुकरा दी.

याचिकाकर्ता धवड की ओर से अधि. देवेन चौहान और अधि. सी.बी. बर्वे तथा राज्य सरकार की ओर से सहायक सरकारी वकील पी.एस. टेंभरे ने पैरवी की. अधि. चौहान ने कहा कि याचिकाकर्ता विधायक रहे हैं. यहां तक कि 5 नवंबर 2019 से जेल में बंद है. हाल ही में समीर चाटे के मामले में हाईकोर्ट की ओर से कोरोना महामारी के मद्देनजर जमानत प्रदान की है.

निचली अदालत ने भी नहीं दी राहत
अधि. चौहान ने कहा कि जिला सत्र न्यायालय में भी जमानत के लिए अर्जी दायर की गई थी. किंतु अदालत ने याचिकाकर्ता को स्वास्थ्य की सुविधा मुहैया कराने के आदेश देकर जमानत देने से इंकार कर दिया. याचिकाकर्ता की 65 वर्ष की उम्र है. यहां तक कि कोरोना से बाधित है. उम्र को देखते हुए निजी अस्पताल में अच्छी स्वास्थ्य सेवाएं प्राप्त की जा सकेगी. जिससे जमानत देने का अनुरोध हाईकोर्ट से किया गया. सरकार की ओर से पैरवी कर रहे अधि. टेंभरे ने कहा कि याचिकाकर्ता को इलाज के लिए मेडिकल कालेज में भर्ती कराया गया. जहां पर याचिकाकर्ता को उपयुक्त उपचार उपलब्ध है. जिससे निजी अस्पताल में इलाज के लिए जमानत देने का कोई औचित्य ही नहीं है.

सुको से भी नहीं मिली जमानत
अधि. टेंभरे ने कहा कि मेडिकल की रिपोर्ट के अनुसार याचिकाकर्ता की स्थिति अब सामान्य है.  दोनों पक्षों की दलिलों को सुनने के बाद अदालत ने आदेश में कहा कि सुको की ओर से भी अंतरिम जमानत देने से इंकार किया गया है. याचिकाकर्ता ने अंतरिम जमानत के साथ ही नियमित जमानत के लिए जिला सत्र न्यायालय में अर्जी दायर की है . याचिकाकर्ता की ओर से इलाज के लिए जमानत देने का अनुरोध किया जा रहा है. जबकि निजी अस्पतालों की हालत भी ठीक नहीं है. इसके विपरित याचिकाकर्ता को मेडिकल में उपयुक्त उपचार मिल सकता है.