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  • निकलने लगी त्वचा

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नागपुर. हैदराबाद से लौटे एक यात्री को स्टेशन पर होम क्वारंटाइन का स्टैम्प लगाना महंगा पड़ गया. कुछ दिनों के बाद उन्हें इंफेक्शन हो गया और त्वचा निकलने लगी. पस जैसी स्थिति भी बन गई. प्राप्त जानकारी के अनुसार, मोहननगर निवासी रिचर्ड एंथनी 1 जुलाई को ट्रेन 02437 सिकंदराबाद-दिल्ली स्पेशल एक्सप्रेस ने नागपुर लौटे. उन्होंने पीएनआर 4205376430 के साथ कोच बी 8 की बर्थ क्रमांक 23 पर सफर किया. नागपुर स्टेशन से बाहर निकलने से पहले उनके हाथ पर होम क्वारंटाइन का स्टैम्प लगा दिया गया. कुछ घंटों के बाद ही उन्हें स्टैम्प की जगह खुजली सी शुरू हो गई और हाथ लगाने पर त्वचा निकलने लगी. यह देखकर वह घबरा गये.

कोई स्कीन डिसिस नहीं
रिचर्ड ने बताया कि वह अगली सुबह प्राइवेट डाक्टर के यहां गये और जांच कराई. पता चला कि उन्हें त्वचा की कोई बीमारी नहीं है. बल्कि क्वारंटाइन स्टैम्प में उपयोग की गई स्याही से संक्रमण हो गया है. यह जानकर वह हैरान रहे गये. उन्होंने रेलवे हास्पिटल से संपर्क साधा तो उनकी जांच करने के बजाय होम क्वारंटाइन तोड़ने का दोषी बताया जाने लगा. रिचर्ड के साथ जेडआरयूसीसी सदस्य सतीश यादव भी हास्पिटल पहुंचे. उन्होंने कहा कि इस बारे में रेलवे डाक्टर सीधे पल्ला झाड़ लिया. उन्हांने कहा कि हमें स्याही मनपा प्रशासन की ओर से दी जाती है इसलिए हमारी कोई जिम्मेदारी नहीं बनती. हालांकि इस बारे में सीनियर डीपीओ केके मिश्र ने कहा कि हमें स्याही स्थानीय प्रशासन की ओर से उपलब्ध कराई जाती है. रेल यात्री को इंफेक्शन होना चिंता की बात है. हम स्थानीय प्रशासन को अपनी चिंता से अवगत करायेंगे और हरसंभव सुधार करेंगे.

खराब स्हायी या सील ही सेनेटाइज नहीं!
डाक्टर हो या मंडल प्रबंधन, पूरे मामले में स्टैम्प की स्हायी पर सवाल उठाये जा रहे हैं, लेकिन जिस सील पर स्हायी लगाकर यात्री को स्टैम्प लगाया जाता है, वह सेनेटाइज भी होती है या नहीं, इस ओर किसी का ध्यान नहीं. स्टेशन से बाहर निकलते समय एक यात्री को स्टैम्प लगाने के बाद उसी सील से दूसरे यात्री को भी स्टैम्प लगा दिया जाता है. इस दौरान कहीं भी सील को सैनेटाइज नहीं किया जाता. इससे भी संक्रमण फैलने से इंकार नहीं किया जा सकता. प्रशासन को इस ओर भी ध्यान देना चाहिए.