Court approves sacking of 12 Manpa employees, High Court validates Munde's decision
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नागपुर. शहर में सड़कों का चौड़ाईकरण होने के बाद बीच में आए बिजली खंभों के कारण होनेवाली दुर्घटनाओं एवं ट्रैफिक व्यवधान होने को लेकर समाचार पत्रों में छपी खबरों पर स्वयं संज्ञान लेते हुए हाई कोर्ट ने इसे जनहित याचिका के रूप में स्वीकर किया. याचिका पर मंगलवार को सुनवाई के बाद न्यायाधीश सुनील शुक्रे और न्यायाधीश अविनाश घारोटे ने अब तक कितने खंभे हटाए गए. इसकी जानकारी देने के आदेश मनपा को दिए. सुनवाई के दौरान मनपा की ओर से पैरवी कर रहे अधि. सुधीर पुराणिक ने कहा कि खंभों को हटाने के कार्य पर मनपा की ओर से निधि खर्च की गई है.

उल्लेखनीय है कि हाई कोर्ट के आदेशों के अनुसार मनपा ने 5 करोड़ जमा किए थे, जिन्हें बैंक में रखा गया था. अब इस पर मिले ब्याज के बाद कुल निधि 7,74,65,044 हो गई है. मनपा की ओर से निधि देने का अनुरोध किया गया. इस पर अदालत ने उक्त आदेश जारी किए. अदालत मित्र के रूप में अधि. श्रीरंग भांडारकर ने पैरवी की.

शीघ्र स्थानांतरित करें सभी खंभे

सुनवाई के दौरान अदालत ने सभी खंभों को स्थानांतरित करने के लिए कार्य में गति लाने का अनुरोध किया. समयावधि तय करने के लिए अधिकारियों को बैठक लेने की हिदायत भी दी. विशेषत: गत समय अदालत ने 31 जनवरी 2020 तक सभी खंभे स्थानांतरित करने की समयावधि निर्धारित की थी. किंतु अब यह डेडलाइन चली गई है. अत: अब जनहित में शीघ्र कार्य पूर्ण करने का मामला मनपा और एमएसईडीसीएल के अधिकारियों के विवेक पर छोड़ा जाता है. अदालत ने कब तक पूरा स्थानांतरण होगा, इसकी समयावधि की जानकारी भी देने के आदेश दिए. साथ ही 18 मार्च तक के लिए सुनवाई स्थगित कर दी.