नवभारत e-चर्चा सामाजिक समस्याओं को पहचानना, शीघ्र निर्णय और समाज के कमजोर वर्गों के लिए काम करने वाला उत्कृष्ट नेता सतेज पाटिल
नागपुर: कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए देश में 25 मार्च से लॉकडाउन लगा हुआ हैं. इस दौरान सभी तरह के उद्योग और आर्थिक गतिविधियों पर रोक लगी हुई हैं, जिसके कारण देश में कई प्रकार की समस्या कड़ी हो गई हैं. जिसका हल निकलने के लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकारें मिलकर काम कर रही हैं. इन्ही समस्याओं को लेकर नवभारत ने ‘e-चर्चा’ वेबिनार कार्यक्रम का आयोजन किया हैं, जहां विभिन्न क्षेत्रों के गणमान्य लोग आकर अपने विचार और इन समस्याओं से किस तरह निकल सकते हैं इसपर चर्चा करेंगे। इसी कड़ी में 31 मई 2020 को इस वैश्विक महामारी के दौरान ‘सरकार के सामने आई चुनौती और उसको किस तरह काम करना हैं’ विषय पर महाराष्ट्र राज्य के गृहराज्य मंत्री (शहरी क्षेत्र) सतेज पाटिल शाम 5:00 बजे आकर चर्चा करेंगे।
सतेज पाटिल महाराष्ट्र की राजनीति में ऐसा नाम ही जिसने एक मशहूर पिता की संतान होते हुए भी अपने दम पर एक अलग मुकाम हासिल किया। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेता पाटिल का जन्म 12 अप्रैल 1972 को महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिले में हुआ. उनके पिता डी. वाई. पाटिल राज्य के मशहूर शिक्षावादी और बिहार के पूर्व राज्यपाल रह चुके हैं. सतेज ने कोल्हापुर के शिवजी विश्विद्यालय से अपनी पढाई पूरी की हैं.
सतेज उर्फ़ बंटी ने राजनीति में अपना भविष्य बनाने का बचपन में ही तय कर लिया था. कॉलेज के दिनों में एक औसत छात्र रहे लेकिन छात्र राजनीति में बेहद एक्टिव रहे. उन्होंने विश्वविद्यालय के छात्र संघ का चुनाव जीत कर अपना राजनीतिक जीवन शुरू किया। सन 1992-93 में शिवजी विश्वविद्यालय की एडल्ट एजुकेशन एंड कंटिन्यूइंग एजुकेशन के लिए समिति में चुनाव जीत कर सलाहकार बने. इसी के साथ वह 1995-1999 तक विश्वविद्यालय के सीनेट सदस्य भी रहे.
पाटिल ने 2004 विधानसभा चुनाव में कोल्हापुर जिले के करवीर सीट से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ा और 42 हज़ार से ज़्यादा वोटों से जीत कर विधायक निर्वाचित हुए. 2009 में कोल्हापुर दक्षिण सीट से कांग्रेस की टिकट पर चुनाव जीत कर फिर से विधानसभा पहुंचे और 2010-2014 तक तत्कालीन कांग्रेस- राष्ट्रवादी कांग्रेस गठबंधन सरकार में गृह राज्य मंत्री (शहरी और ग्रामीण), ग्रामीण विकास, खाद्य और औषधि प्रशासन मंत्री रहे.
लेकिन 2014 के विधानसभा चुनाव में उन्हें भाजपा के अमल महाडिक के हाथों हार का मुँह देखना पड़ा. 2015 में हुए विधान परिषद चुनाव में सतेज ने तीन बार के विधायक महादेव राव महाडिक को हराकर विधान परिषद के सदस्य नियुक्त हुए. वहीं 2019 में हुए विधानसभा चुनाव के बाद राज्य में बनी महाराष्ट्र महाविकास अघाड़ी सरकार में पुनः गृह राज्य मंत्री (शहरी क्षेत्र) का प्रभार संभाला.
राजनेता के साथ-साथ पाटिल के सफल उद्योगपति भी हैं, उन्होंने मात्रा 27 साल की उम्र में अगस्त 2000 में पद्मश्री डॉ.डीवाई.पाटिल को-ऑपरेटिव शुगर फ़ैक्टरी की स्थापना की। इसी के साथ उन्होंने राज्य के अंदर कई शिक्षण संस्तानो की स्थापना की. 2001 के चुनावों में, उन्हें गगनबावड़ा तालुका से केडीसीसी बैंक के निदेशक के रूप में चुना गया। उन्हें वर्ष 2006 में केडीसीसी बैंक के निदेशक के रूप में फिर से चुना गया।
महाराष्ट्र के शैक्षणिक क्षेत्र में एक प्रसिद्ध व्यक्तित्व के बेटे होने के नाते, सतेज पाटिल को इस बिरादरी में प्रवेश कर अपने पिता के अच्छे काम को आगे बढ़ाए। उनका सपना 23 मई 2003 को साकार हुए जब वह महाराष्ट्र के सबसे प्रसिद्ध शिक्षण संस्थानों में से एक, श्री मौनी विद्यापीठ गरगोती के अध्यक्ष के रूप में चुने गए। उन्होंने डॉ. डी. वाई के साथ अधिक सक्रिय होने का फैसला किया। पाटिल ने कोल्हापुर में कला, क्रीड़ा, शैक्षिक और संस्कृतिक ट्रस्ट की स्थापना किया। जहां वह कला और खेल को बढ़ावा देता है, छात्रों को अच्छी शैक्षिक अवसंरचना प्रदान करते है और ट्रस्ट के माध्यम से सामाजिक-केंद्रित गतिविधियों के माध्यम से सांस्कृतिक विरासत को बहाल करने का काम करते है।
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