धड़ल्ले से चल रहा खरगोश का अवैध कारोबार, 600 रुपये जोड़ी रैबिट

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    • 800 रुपये जोड़ी जंगली कबूतर

    नागपुर. अब लोग कुत्ता-बिल्ली के साथ ही वन्य जीवों को भी अपने घर की शान समझने लगे हैं. इसके चलते ही शहर में खरगोश की अवैध बिक्री का कारोबार धड़ल्ले से जारी है. मोतीबाग रेलवे लाइन के आगे कड़बी चौक रोड पर रोजाना ही कबूतर से लेकर खरगोश का अवैध रूप से कारोबार शुरू है. इसके साथ ही लकड़गंज में हर रविवार को सब्जी मार्केट के साथ जीव-जंतुओं का मार्केट लगता है, जहां पर खरगोश, जंगली कबूतर, रंग-बिरंगी चिड़िया के साथ कछुआ भी बड़े आसानी से मिल जाता है.

    कछुआ, खरगोश सहित अन्य वन्य प्राणी की बिक्री पर प्रतिबंध होने के बावजूद शहर में वर्षों से यह कारोबार धड़ल्ले से चल रहा है. यह सब पुलिस और वन्य अधिकारियों की नजरों के सामने होने के बावजूद इस पर किसी तरह की कार्रवाई नहीं की जाती है. अधिकारियों और विक्रेताओं में मिलीभगत होने के चलते यह कारोबार आसानी से चल रहा है.

    कार्रवाई का भी डर नहीं

    प्रतिबंध के बावजूद इन विक्रेताओं को किसी तरह की कार्रवाई का डर नहीं है. खरगोश तो सामने दिख जाते हैं, लेकिन कछुआ के लिए पूछो तो बताते हैं कि वह भी मिल जायेगा. कछुआ सामने नहीं रखते हैं लेकिन वे इसे भी उपलब्ध कराते हैं. इसमें छोटा खरगोश 600 रुपए जोड़ी मिलता है. इसी तरह कबूतर 800 रुपये और तीतर-बटेर 400-400 रुपए जोड़ी में बेचे जाते हैं. जानकारी के अनुसार विक्रेता यह प्राणी और पक्षी पास के जंगल से लाते हैं. वहीं कुछ अन्य स्थानों से भी मंगाते हैं.

    विक्रेताओं को यह जरूर पता है कि यह तस्करी व अपराध की श्रेणी में आता है फिर भी उन्हें कार्रवाई का डर नहीं है. उसका कहना हैं कि यहां पर हर तरह के ग्राहक आते हैं. इतने दिनों से किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं हुई, तो अब क्या होगी. इसी के चलते वर्षों से यह दूकानें इसी तरह चल रही हैं. प्राणियों के साथ बाकायदा पिंजरा भी दिया जाता है. इन विक्रेताओं के पास अलग-अलग तरह के तोते व अन्य पक्षी भी देखे जा सकते हैं. 

    सब दूकानें बंद, लेकिन यह रहती है शुरू

    इस समय शहर में वीकेंड लॉकडाउन चल रहा है. जिसमें शहर की सभी दूकानें बंद रहती हैं लेकिन इन दूकानों पर लॉकडाउन का भी कोई असर नहीं होता. यह पहले वाले लॉकडाउन में पूरे दिनभर शुरू रहीं, वहीं अभी रोज शुरू रहती हैं. सड़क किनारे लगने वाली दूकानों में इन्हें बकायदा जालीदार बड़े पिंजरे में इन्हें सजाकर रखा जाता है.

    दिनभर में एक विक्रेता 2 जोड़ी खरगोश, कम से कम 5 जोड़ी कबूतर सहित अन्य पक्षियों को बेच लेता है. शहर के कई वन्यजीव प्रेमी हैं लेकिन किसी ने इस पर रोक लगाने की कोशिश नहीं की. सरकार ने इनकी चोरी, तस्करी पर रोक लगाने के लिए कड़े कानून बनाएं हैं. लेकिन इसका कोई अर्थ ही नहीं रह गया.